हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर का वातावरण शांत और सकारात्मक परिणाम देने वाला हो | इसके लिए वह अपनी आदतों और घर के रख रखाव में बहुत सी बाते लागू करता है | घर में सकारात्मक उर्जा बनी रहे इसके लिए हमारे शास्त्रों में कई बाते बताई गयी है। इसमे से आज हम बात करेंगे घर की छत पर ध्वजा लहराने से होने वाले धार्मिक लाभ की|
हिन्दू धर्म में अपने घर की छत पर ध्वजा (झंडा या निशान) लहराने की परम्परा प्राचीन समय से है। यह ध्वजा घर का तिलक होता है जो घर की शोभा के साथ सकारात्मक उर्जा बढाता है |
वास्तु शास्त्र में ध्वजा सकारात्मक उर्जा और शुभता का प्रतीक है। पहले के समय राजा अपने महलो पर अपनी विजय और कीर्ति के लिए अपने अपने ध्वजा लगाते थे|
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नूतन संवत्सर आरम्भ होता है। इस दिन सबको चाहिए कि अपने-अपने घर में अपने सम्प्रदायानुसार ध्वज लगावें। तोरणादि से गृह सुशोभित करें। मंगल स्नान कर देवता, ब्राह्मण गुरु और धर्म-ध्वज की पूजा करें और उसके नीचे पंक्तिबद्ध बैठकर सभी एकस्वर में धर्म-ध्वजा गीत का गायन करें। स्त्रियाँ, शिशु आदि नूतन वखाभूषणादि परिधान धारण कर उत्सव मनायें। पंचांगस्थ श्रीगणेश की पूजा और सत्कार करें। याचकों को यथा शक्ति दानादि से प्रसन्न करें। मिष्ठान्न आदि भोजन करायें। गायन वादन, कथा श्रवण कर सम्पूर्ण दिन आनन्द से व्यतीत करें, गृहस्थों को विलासयुक्त आनन्दपूर्वक वर्षारंभ का दिन व्यतीत करने से सम्पूर्ण वर्ष आनन्दमय होता है।
हिन्दू धर्म में ध्वजा का रंग
हिन्दू धर्म में भगवा अर्थात केसरिया ध्वजा का बहुत महत्व है। इस ध्वजा में श्री राम, हनुमान जी, माँ दुर्गा, स्वस्तिक, कलश, गदा, चक्र आदि के चिन्ह लगे रहते है। यह देवी देवताओ की कृपा प्राप्ति का प्रतीक है।
घर के किस दिशा में लगाये ध्वजा
वास्तु नियमो के अनुसार घर की छत के वायव्य दिशा (उत्तर पश्चिम) में ध्वजा लहरानी चाहिए। यह वायव्य दिशा वायुदेव और वरुण देव की दिशा है जो वायु और जल देवता की दिशा है। इस दिशा में वायु और जल भण्डारण रखना अत्यंत शुभ माना गया है।
घरो में ध्वजा लगाने से व्यक्ति के घर के वास्तु दोषों के साथ कुंडली में अशुभ ग्रहों के दोष भी दूर होते है | यह भी मान्यता है कि किसी भी भवन की छत रहने वाले लोगों की कुंडली का बारहवां भाव यानि घर होती है। इसलिए ग्रहों से संबंधित दोष को शांत करने के लिए झंडा लगाए जाते हैं।
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