2068 Aadarsh Bal Kathayen (Ideal Child Stories) in Hindi with pictures) by Gita Press Gorakhpur.
इस पुस्तक में बच्चो को अपने महान प्राचीन ग्रंथो के बारें में तथा संक्षिप्त में उनकी कहानियाँ पढ़ने को मिलती है |बच्चो को संस्कार तथा ज्ञान वर्धन के लिए छोटे में रंगीन चित्रों के साथ बहुत ही सुन्दर पुस्तक है |
2028 Aadarsh Sant (Ideal Reformers) A collection of 16 important Social reformers in Hindi with pictures by Gita Press Gorakhpur.
इस पुस्तक में बच्चो को चुने हुए सोलह संत-महात्मा-योगी-साधकों के बारें में तथा संक्षिप्त में उनकी कहानियाँ पढ़ने को मिलती है |बच्चो को संस्कार तथा ज्ञान वर्धन के लिए छोटे में रंगीन चित्रों के साथ बहुत ही सुन्दर पुस्तक है | संकलन – ठा.सुदर्शन सिंह
2026 Aadarsh Sant (Ideal Saint) in Hindi with pictures by Gita Press Gorakhpur.
इस पुस्तक में बच्चो को चुने हुए सोलह संत-महात्मा-योगी-साधकों के बारें में तथा संक्षिप्त में उनकी कहानियाँ पढ़ने को मिलती है |बच्चो को संस्कार तथा ज्ञान वर्धन के लिए छोटे में रंगीन चित्रों के साथ बहुत ही सुन्दर पुस्तक है | संकलन – ठा.सुदर्शन सिंह
Adi Shankaracharya Rachit Shivanand Lahri Edited and Interpretation by Kalyan Lal Sharma Published by Choukhamba, Varanasi
आचार्य शंकर की भाष्यकार, षण्मत-स्थापक, और सनातन धर्म के प्रचारक के रूप में इतनी प्रसिद्धि है कि भक्त-कवि के रूप में रचित उनके स्तोत्र बहुविदित नहीं हैं। आचार्य ने लगभग सभी देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के लिये अनुपम कवित्वमय स्तोत्रों की रचना की है । शिव, विष्णु और शक्ति की जैसी स्तुति शिवानन्दलहरी, विष्णुकेशादिपादस्तोत्रम्, और सौन्दर्यलहरी में मिलती है, वैसी अन्यत्र दुर्लभ है । उसकी शिवानन्दलहरी में भक्ति-तत्त्व की विवेचना, भक्त के अभीप्साएँ, और भक्तिमार्ग की कठिनाइयों का अनुपम वर्णन है।
Kalyan is a monthly spiritual magazine published by Gita Press, Gorakhpur and there is an annual special issue is published with a particular topic. This Special issue is very informative and worth reading. The earlier editions are also available for the readers except for someones.
1592 कल्याण आरोग्य अंक (2001 ई० का विशेषाङ्क )
1592 Kalyan Arogya Ank (Special edition of 2001 )
ऋषि-महर्षियों द्वारा प्रतिपादित विभिन्न चिकित्सा-पद्धतियों का निरूपण, आयुतत्त्व-मीमांसा, आहार-विहार, रहन-सहन, स्वाभाविक और संयमित जीवन का स्वरूप, शास्त्रोंद्वारा प्रतिपादित यम-नियम, आचार-विचार एवं यौगिक क्रियाओं का अनुपालन, प्राचीन विधाओं से लेकर अर्वाचीन चिकित्सा पद्धतियों तथा उनके हानि-लाभ का विवेचन, नीरोग रहने के घरेलू नुसखे तथा अनुभूत प्रयोग, विभिन्न भारतीय चिकित्सा-पद्धतियों के महानुभावों का चरित्रावलोकन तथा भगवान् धन्वतरि द्वारा प्रवर्तित आयुर्वेदशास्त्र, इसके साथ ही प्रकृति के कुछ सरल एवं स्वाभाविक नियमों तथा स्वस्थ जीवन के मूलभूत सिद्धान्तों को सरल और सुगमरूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया।
1591 Aarti Sangrah with Short Pooja Method (Bold Type) by Gita Press.
‘आरती- संग्रह के इस नवीन संस्करण में आरतियों को मोटे टाइप में प्रकाशित किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें संक्षिप्त पूजन-विधि, मानस- पूजा, पूजन-सम्बन्धी जानने योग्य कुछ आवश्यक बातें एवं माँ सरस्वती की वन्दना तथा माँ सरस्वती की आरती भी सम्मिलित कर दी गयी है। यह परिवर्तित एवं परिवर्धित संस्करण पाठकों एवं उपासकों के लिये अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
Adbhuta Ramayana in Sanskrit and Hindi Translation. Written by Mahrishi Valmiki Edited and Elaborated by Pt. Harihar Prashad Tripathi Published by Chowkhamba, Kashi
आदिकवि महर्षि वाल्मीकि रचित यह अद्भुत रामायण अपने आप में भी अद्भुत है जिससे इसके नाम की सार्थकता भी प्रकट होती है इसके कथानक अत्यन्त विस्मयकारी तथा रोमहर्षक है ये कथानक सवा सुलभ न होने के कारण धर्मप्राण जनता इसके परिज्ञान से चित रह जाती है।
॥ श्रीहरिः ।। 2002 Adhyatmik Kahaniyan (Sri ‘Chakra’ Ji ki Kahaniyan) by Gita Press.
कलिकाल में भगवत्प्राप्ति का सर्वाधिक सुगम मार्ग भगवद्भक्ति बताया गया है। श्रीमद्भागवत (७।५।२३) में भक्ति के भेद बताते हुए नवधा भक्ति का वर्णन मिलता है वर्ण कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम्। अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥ अर्थात् ‘भगवान् के गुण-लीला-नाम-धाम आदि का श्रवण, उन्हीं का कीर्तन, उनके रूप-नाम आदि का स्मरण, उनके चरणों की सेवा, पूजा अर्चा, वन्दन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन।’ भक्ति के उक्त नौ भेदों के मर्म को नौ कथाओं के माध्यम से समझाया गया है।
यह अमोघ शिवकवच परम गोपनीय, अत्यन्त आदरणीय, सब पापों को दूर करनेवाला, सारे अमंगलों को, विघ्न-बाधाओं को हरनेवाला, परम पवित्र, जयप्रद और सम्पूर्ण विपत्तियों का नाशक माना गया है। यह परम हितकारी है और सब भयों को दूर करता है। इसके प्रभाव से क्षीणायु, मृत्यु के समीप पहुँचा हुआ महान् रोगी मनुष्य भी शीघ्र नीरोगता को प्राप्त करता है और उसकी दीर्घायु हो जाती है। अर्थाभाव से पीड़ित मनुष्य की सारी दरिद्रता दूर हो जाती है और उसको सुख वैभव की प्राप्ति होती है। पापी महापातक से छूट जाता है और इसका भक्ति-श्रद्धापूर्वक धारण करनेवाला निष्काम पुरुष देहान्त के बाद दुर्लभ मोक्षपद को प्राप्त होता है।
Annaprashan Sanskar by Dr Kunj Bihari Sharma Edited by Prof. Ram Murti Sharma Published by Sampurnanand Sanskrit University, Varanasi
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की प्रकाशन-प्रन्थमालाओं ने प्राय्य भारतीय विद्याओं की प्रायः समस्त शाखाओं को अभिव्याप्त किया है। इस विश्वविद्यालय के द्वारा माननीय कुलपति प्रो. राममूर्ति शर्मा जी की प्रेरणा से एक नयी ग्रन्थमाला ‘संस्कार ग्रन्थमाला ‘ का प्रवर्तन हुआ है।
141 Srimad Goswami Tulsidas Ji’s Sri Ramcharitmanas’s Aranya, Kishkindha, Sundarkand with Hindi Translation by Gita Press, Gorakhpur
श्रीमद गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा विरचित श्री रामचरित मानस में प्रथम काण्ड -बाल कांड है, द्वितीय काण्ड – अयोध्या कांड है इसी प्रकार तृतीय -अरण्य, चतुर्थ -किष्किन्धा ,पंचम – सुन्दरकाण्ड है | प्रस्तुत पुस्तक गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित है तथा इसमें तृतीय -अरण्य, चतुर्थ -किष्किन्धा ,पंचम – सुन्दरकाण्ड दिया गया है जो की हिंदी अनुवाद के साथ है | पाठको के आवश्यकता के लिए गीता प्रेस द्वारा अन्य काण्ड भी अलग -अलग प्रकाशित किये गए है |
Edited with Nirmala’ Hindi Commentary Along with Special Deliberation etc.
by Dr. Brahmanand Tripathi Sahitya-Ayurveda-Jyotish-Acharya M.A., Ph.D., D.Sc. A
प्रस्तुत व्याख्या की विशेषता-अष्टांगसंग्रह की विस्तार से रचना करने के बाद जब वाग्भट ने साररूप ‘हृदय’ की रचना की तो विषयों को संक्षेप में उपस्थित करना आवश्यक हो गया था। व्यास-संक्षेप रचनाचतुर वाग्भट ने इस ग्रन्थ से सम्बन्धित विषयों की पूर्ति कैसे और कहाँ से की होगी, इसका ध्यान रखते हुए सम्पूर्ण ग्रन्थ में जहाँ-जहाँ जो संकेत दिये हैं, उन्हें व्याख्याकाल में सन्दर्भ संकेत देकर अधिक स्पष्ट कर दिया गया है। इनकी सहायता से विज्ञ पाठक उन विषयों को यथास्थान सरलता से ढूँढ़ लेगा। साथ ही स्थान-स्थान पर ‘अष्टांगहृदय’ के दुरूह विषयों को स्पष्ट करने की दृष्टि से जिन-जिन विषयों को ग्रन्थान्तरों से लिया गया है, उनके भी सन्दर्भ-संकेत यथास्थान दे दिये हैं। मूल ग्रन्थ की टीका के अन्त में वक्तव्य तथा विशेष वचन दिये गये हैं, जो ग्रन्थ के आशय को स्पष्ट करने में सहायक होंगे। यद्यपि ‘अष्टांगहृदय’ में ग्रन्थकार ने तन्त्रयुक्तियों का उल्लेख नहीं किया है जिसका अष्टांगसंग्रह में उल्लेख हुआ है। अतः उनका परिगणन मात्र हमने यथास्थान अपने वक्तव्य में कर दिया है। औषधनिर्माण प्रसंग में जहाँ-जहाँ आवश्यक समझा गया वहाँ-वहाँ औषध द्रव्य परिमाण तथा उसके निर्माण विधि का भी उल्लेख कर दिया गया है। प्रस्तुत ‘निर्मला’ व्याख्या की ये विशेषताएँ हैं।
1032 Bal Chitra Ramayan Sampurn (Child Pictorial Ramayan) in Hindi with pictures by Gita Press Gorakhpur.
भगवान् श्री रामचन्द्र हमारी भारतीय संस्कृति के प्राण हैं। ऐसा कोई मनुष्य नहीं जो राम का नाम न जानता हो। छोटे बच्चे राम के जीवन-लीलाओं को जान लें तथा बोलचाल की बोली में लीलाकी तुकबंदी याद कर लें तो उनको सहज ही राम के जीवन की जानकारी हो सकती है और वे स्वयं पदों को बोलकर तथा दूसरों को सुनाकर आनन्द पा सकते हैं। उनके जीवन-निर्माण में भी इससे बड़ी सहायता मिल सकती है । इसी उद्देश्य से यह चित्रों में रामचरित्र छापा गया है। इससे हमारे बालक लाभ उठायेंगे। इसमें लीला के ९६ रंगीन चित्र हैं। किस चित्र में कौन-सी लीला है, यह उसके नीचे के पद में लिख दिया गया है।
194 Bal Chitramay Chaitanya Lila in Hindi with pictures by Gita Press Gorakhpur.
महाप्रभु श्री चैतन्य देव एक महान् युगपुरुष थे। उन्होंने और उनके साथी तथा शिष्य प्रशिष्यों ने अपने पवित्र वैष्णव-आचरण और साहित्य के द्वारा जगत् को अमूल्य निधि दी है उसको कहीं तुलना नहीं है। बंगाल में तो श्री चैतन्य भगवान् के साक्षात् अवतार माने जाते हैं और इनके बंग-भाषा के पद्यों में लिखित चरित्र ‘श्रीचैत चरितामृत’ को श्रीमद्भागवत तथा रामायण को भाँति कथा तथा पाठ होता है। इनके जीवन का प्रत्येक प्रसङ्ग प्रभु-प्रेम तथा त्याग-वैराग्य से भरा है। हमारे छोटे-छोटे बालक इन महापुरुष की जीवन लीलाओं को जान लें और बोल-चाल की भाषा में लीला को तुकबंदियों याद कर लें तो उनको बड़ा आनन्द प्राप्त हो सकता है और उनके जीवन निर्माण में बड़ी शुभ प्रेरणा मिल सकती है। इसी उद्देश्य से यह चित्रों में श्रीचैतन्य का चरित्र प्रकाशित किया जा रहा है। प्रत्येक चित्र के नीचे उनका भाव गेय रूप में लिख दिया गया है। साथ ही विशेष जानकारी के लिये उनका संक्षिप्त जीवन चरित्र भी चित्रों के सामने दे दिया गया है। इसमें ४५ सादे और एक सुन्दर रंगीन चित्र हैं।
190 Bal Chitramay Sri Krishna Leela (Child Pictorial Sri Krishna Leela) in Hindi with pictures by Gita Press Gorakhpur.
भगवान् श्रीकृष्ण की लीला बड़ी ही मीठी, उपदेश भरी और सबके जीवन में नया उत्साह, नयी-नयी पवित्रता भरने वाली और बालकों के लिये तो बहुत ही आनन्ददायिनी है। छोटे-छोटे बच्चे भगवान् श्रीकृष्णकी मधुर लीलाओं का ज्ञान प्राप्त कर लें और बोलचाल को भाषा में लीला की तुकबंदी याद कर लें तो वे सहज ही श्रीकृष्ण के जीवन से परिचित हो जाते हैं और पदों को बोलकर तथा दूसरों को सुनाकर आनन्द प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक चित्र के नीचे सहज पद में याद करने के लिये लीला का वर्णन कर दिया गया है। लीलाओं का सिलसिलेवार ज्ञान हो जाय, इस उद्देश्य से प्रत्येक चित्र के सामने उसका वर्णन भी सरल भाषा में दिया गया है। इसमें लीलाओंके ९६ चित्र हैं और एक रंगीन चित्र है।
1694 Balak ke Acharan (The Conduct of Children) in Hindi Rhymes way and pictures) by Gita Press Gorakhpur.
बालक के आचरण कैसे होने चाहिये, यही इस छोटी-सी पुस्तक में लेखक के द्वारा दिखाया गया है। चरित्र-निर्माण शिक्षा का प्राण है, मुख्य अंग है। इस पुस्तक से बालकों को चरित्र-निर्माण में पर्याप्त प्रेरणा मिलेगी।
1690 Balak Ke Gun (Child Qualities) in Hindi with pictures by Gita Press Gorakhpur.
इस पुस्तक में बच्चो को अच्छी सीख और एक नेक व्यक्ति बनने के लिए छोटी छोटी कविताओं के साथ अच्छे गुण पढ़ने को मिलते है |बच्चो को संस्कार तथा ज्ञान वर्धन के लिए छोटे में रंगीन चित्रों के साथ बहुत ही सुन्दर पुस्तक है |
1692 Balako ki Dincharya (The Daily Routine of Children in Hindi Rhymes way and pictures) by Gita Press Gorakhpur.
बालक कैसे जागे, कैसे सोये और जागने के समय से लेकर सोने तक क्या-क्या और कैसे-कैसे करे—यही इस छोटी-सी पुस्तक में लेखक के द्वारा संक्षेपतः बताया गया है। इस प्रकार इसमें बालक की पूरी दिनचर्या आ गयी है तथा साथ ही स्वास्थ्य और सफाई के प्रारम्भिक नियमों का भी दिग्दर्शन करा दिया गया है। इस प्रकार इस एक ही पुस्तक में बालकों के रहन सहन की प्रायः सारी बातें सूत्र-रूप में आ गयी हैं। इससे बालकों की शिक्षा के एक आवश्यक अंग की पूर्ति होगी।
1693 Balako ko Seekh (Learning for Children) in Hindi Rhymes way and pictures) by Gita Press Gorakhpur.
इस छोटी-सी पुस्तक में लेखक के द्वारा छोटे-छोटे वाक्यों में बालकों के मन पर उत्तम संस्कार डालने वाली बहुत-सी काम की बातें दी गयी हैं | उनके चरित्र-निर्माण में पर्याप्त सहायक सिद्ध होंगी।