सनातन धर्म में रक्षासूत्र यानि कलावा/मौली ( Raksha Sutra) का अपना विशेष महत्व ( miracles of Raksha Sutra ) है। सभी धार्मिक अनुष्ठानों में इसे विशेष महत्व (miracles of Raksha Sutra) दिया जाता है।
सनातन धर्म में अनेक रीति-रिवाज़ और मान्यताएं हैं, जिनका न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक पक्ष भी है जो वर्तमान समय में भी एकदम सटीक बैठता है। ऐसा ही एक विधान है रक्षासूत्र ( vedic Raksha Sutra) का, तभी तो कोई भी धार्मिक अनुष्ठान कलावा (रक्षासूत्र, मोली – Raksha Sutra ) के बिना संपन्न नहीं माना जाता है।
हिन्दूधर्म में हाथ पर मौली, कलावा, रक्षासूत्र या पवित्र बंधन बांधते हैं, यह रक्षासूत्र ( Raksha Sutra) होता है । माना जाता है कि यह अक्सर जातकों के ऊपर आने वाली कठिनाइयों और पीड़ाओं का शमन ( amazing miracles) भी करता है, साथ ही भयंकर संकटों से भी बचाता है।
जैसे : बच्चों के हाथों या गले में काला धागा बांधा जाता है जो उन्हें बुरी नजर से बचाता है। उसी प्रकार अन्य रंग के सूत्र भी कई प्रकार की बाधाओं और मुसीबतों से रक्षा ( amazing miracles ) करते हैं ।
सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय या नई वस्तु खरीदने पर हम कलावा ज़रूर बांधते हैं, ताकि वह हमारे जीवन में शुभता ( amazing miracles) प्रदान करे।
रक्षासूत्र यानि कलावा संकल्प, रक्षा एवं विश्वास का प्रतीक माना जाता है। धर्म ग्रंथों की मान्यता के अनुसार कलावा बांधने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु व महेश एवं त्रिदेवियां – लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है।
सनातन धर्म में कलावा बांधने की प्रथा तबसे चली आ रही है, जब दानवीर राजा बली की अमरता के लिए श्री विष्णु भगवान के अवतार वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था। आज भी विद्वान लोग कलावा बांधते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करते हैं –
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
इस मंत्र का है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे।(रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।
धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं।
इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र ( Raksha Sutra) से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित व प्रयुक्त करना है।
शास्त्रों के अनुरूप पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए एवं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का विधान है। कलावा ( Raksha Sutra ) बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी को बंद रखकर दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए। कलावे का बांधा जाना हमें अपने संकल्प ( amazing miracles ) को याद करते रहना और उसकी पूर्ति के लिए प्रयास करते रहना सिखाता है।
शरीर विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो कलावा बांधने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है त्रिदोष -वात, पित्त तथा
कफ का शरीर में संतुलन बना रहता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से हाथ में कलावा बंधे होने से व्यक्ति को स्वयं ही परमात्मा द्वारा अपनी रक्षा होने का आभास होता है। जिससे मन में शांति व आत्मबल में वृद्धि होती है। व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में बुरे विचार नहीं आते।
वैज्ञानिक कारण:
जानकारों के अनुसार कि यह धागा हमारी कलाई की नसों को दुरुस्त रखने में मदद करता है। मौली का धागा ( Raksha Sutra) बांधने से कलाई की नसों में रक्त का प्रवाह नियमित बना रहता है, जिसके कारण आपको रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से खतरा बहुत ही कम होता है।
मौली बांधने के वैज्ञानिक कारणों के अनुसार मौली एवं वह स्थान जहाँ मौली बांधते है अर्थात कलाई, इसका एक खास संबंध होता है। क्योंकि हमारे शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें हमारी कलाई से ही होकर गुजरती हैं। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि इन नसों में रक्त का प्रवाह नियमित होता रहे। मौली को हाथ में बांधने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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