भगवान् सूर्य की उपासना युगों युगों से की जाती रही है जिसका वर्णन हमें रामायण इत्यादि ग्रंथो तथा वेदों और शास्त्रों में मिलता है | भगवान् सूर्य ही इस सृष्टि का आधार है यदि वो न हो तो पूरी सृष्टि ही समाप्त हो जायेगी | भगवान सूर्य इस सृष्टि में एक मात्र लौकिक है | भगवान् सूर्य की पूजा प्रभु श्री राम भी करते थे तथा रावन वध से पूर्व महर्षि अगस्त्य द्वारा बताये गए आदित्य हृदय का पाठ कर के उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की थी | भारत तथा विदेशो में भी सूर्य नारायण के अनेको मंदिर है तथा उनसे जुड़े अनेको रहस्य भी है|भगवान् सूर्य का यह मुख अपने स्थान पर स्थापित करना अत्यंत शुभ है | यह सूर्य नारायण का मुख आप अपने पूजा स्थल पर भी लगायें जिससे इनकी भी पूजा प्रतिदिन हो सके|
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