Shatavari is also known as Asparagus Racemosus. It is translated as having “one hundred roots” or as having “one hundred husbands” implying its ability to increase fertility and vitality.
The roots of the plants are used for medicinal purpose in Ayurveda. It is known as ‘Queen of herbs” since it was traditionally used as a rejuvenating tonic for women in her childbearing age.
Of late the use of this amazing herb has found in treating multiple health problems owing to its calming properties, antioxidant and anti-inflammatory properties.
It is also used in Homa/Havan during religious rituals.
सतावर अथवा शतावर (वानस्पतिक नाम: Asparagus racemosus / ऐस्पेरेगस रेसीमोसस) लिलिएसी कुल का एक औषधीय गुणों वाला पादप है। इसे ‘शतावर’, ‘शतावरी’, ‘सतावरी’, ‘सतमूल’ और ‘सतमूली’ के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत, श्री लंका तथा पूरे हिमालयी क्षेत्र में उगता है। इसका पौधा अनेक शाखाओं से युक्त काँटेदार लता के रूप में एक मीटर से दो मीटर तक लम्बा होता है। इसकी जड़ें गुच्छों के रूप में होतीं हैं।
यह 1 से 2 मीटर तक लंबी बेल होती है जो हर तरह के जंगलों और मैदानी इलाकों में पाई जाती है। आयुर्वेद में इसे ‘औषधियों की रानी’ माना जाता है। इसकी गांठ या कंद का इस्तेमाल किया जाता है।
धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान होम/ हवन में भी इसका उपयोग किया जाता है।
Reviews
There are no reviews yet.