230 Amogh Shiv Kawach By Gita Press, Gorakhpur
अमोघ शिवकवच
यह अमोघ शिवकवच परम गोपनीय, अत्यन्त आदरणीय, सब पापों को दूर करनेवाला, सारे अमंगलों को, विघ्न-बाधाओं को हरनेवाला, परम पवित्र, जयप्रद और सम्पूर्ण विपत्तियों का नाशक माना गया है। यह परम हितकारी है और सब भयों को दूर करता है। इसके प्रभाव से क्षीणायु, मृत्यु के समीप पहुँचा हुआ महान् रोगी मनुष्य भी शीघ्र नीरोगता को प्राप्त करता है और उसकी दीर्घायु हो जाती है। अर्थाभाव से पीड़ित मनुष्य की सारी दरिद्रता दूर हो जाती है और उसको सुख वैभव की प्राप्ति होती है। पापी महापातक से छूट जाता है और इसका भक्ति-श्रद्धापूर्वक धारण करनेवाला निष्काम पुरुष देहान्त के बाद दुर्लभ मोक्षपद को प्राप्त होता है।
महर्षि ऋषभ ने इसका उपदेश करके एक संकट-ग्रस्त राजा को दुःखमुक्त किया था। यह कवच श्रीस्कन्दपुराण के ब्रह्मोत्तरखण्ड में है।
पहले विनियोग छोड़कर ऋष्यादिन्यास, करन्यास और हृदयादि अंगन्यास करके भगवान् शंकर का ध्यान करे। तदनन्तर कवच का पाठ करे।
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