1691 Balakon ki Baaten by Gita Press, Gorakhpur
यह पुस्तिका गुजरात के प्रसिद्ध भक्त-लेखक स्व० अमृतलाल सुलन्दर जी पढियार की ‘बालकोनी बातो’ का अनुवाद है। अनुवाद में मूल पुस्तक का कुछ भाग कहीं-कहीं छोड़ दिया गया है, कहीं दो चार पंक्तियाँ बढ़ायी भी गयी हैं। मूल पुस्तक श्री भिक्षु अखण्डानन्दजी के द्वारा स्थापित ‘सस्तुं साहित्यवर्धक कार्यालय’ अहमदाबाद से प्रकाशित हुई थी।
गीताप्रेसद्वारा ‘बालसाहित्य’ प्रकाशन की भी यही पहली पुस्तक है। इसमें बातचीत के रूप में बहुत ही उत्तम उपदेश दिया गया है। आशा है, हमारी शिक्षासंस्थाओं और अभिभावकों के द्वारा इस पुस्तकका आदर होगा तथा हमारे बालकों के लिये यह बहुत लाभकारी सिद्ध होगी।
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