इस भजन संग्रह में चुने हुए पदों का संकलन किया गया है। अच्छा हो कि इनका रस लेकर हमारी लोभ प्रवृत्ति जागे और हम सम्पूर्ण बानियों का आनन्द लेने को व्हिल हो जायें ।
इस भजन संग्रह के प्रारम्भ में गोसाई तुलसीदास, महात्मा सूरदास और संतवर कबीरदास के पदों का संकलन है । भलित साहित्य में इन तीनों ही महात्माओं की दिव्य बानियाँ अनुपम है, तदनन्तर अष्टछाप के अनन्य भक्तों तथा हितहरिवंश, स्वाधी हरिदास, गदाधर भट्ट, हरिराम व्यास आदि व्रज रस मधुकरों की सुललित गुलजार और नानक, दादूदयाल, रैदास, मलूकदास आदि संतोंके पदों का संक्षिप्त संग्रह है । ग्रन्थ के मध्य में कुछ हरिभक्त देवियों के पदों का संग्रह है। जिनमें प्रमुख हैं-भीरा, सहजोबाई, वृन्दावनवासिनी बनीठनीजी, प्रतापखाला तथा युगलप्रियाजी अन्त में कुछ रामरँगीले भक्तों की वाणी का संकलन किया गया है, जिनमें एक दरियासाहब को छोड़कर शेष सभी मुसलमान है, जिनके बारे में श्रीभारतेन्दुजी ने कहा है– ‘इन मुसलमान हरिजनन पै कोटीन हिन्दुन वारिये।’
इस संग्रह के प्रारम्भिक (९ -८६० तक) पदों का संकलन श्रीवियोगी हरिणी ने किया था, जो पहले गीताप्रेस द्वारा चार खण्डों में छप चुके हैं। इस संग्रह में भी चे पद ज्यों के त्यों सम्मिलित किये गये हैं।
गन्ध की समाप्ति नित्यलीलालीन परम श्रद्धेय भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोहार के परमोपयोगी सरस पदों से की गयी है पाठकों के सुविधार्थ पुस्तक में दिये गये समस्त पदों (बानियों) का वर्णमाला- क्रम में संयोजन किया गया है |
Reviews
There are no reviews yet.