111 SriGoswamiTulsidasJiVirchit Janki Mangal (with meaning in Hindi ) by Gita Press, Gorakhpur
जानकी-मंगल में (जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है) प्रातः स्मरणीय गोस्वामी जी ने जगज्जननी आद्याशक्ति भगवती श्रीजानकी जी तथा परात्पर पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम के परम मंगलमय विवाहोत्सव का बड़े ही मधुर शब्दों में वर्णन किया है। जनकपुर में स्वयंवर की तैयारी से आरम्भ करके विश्वामित्र के अयोध्या जाकर श्रीराम-लक्ष्मण को यज्ञ रक्षा के व्याज से अपने साथ ले आने, यज्ञ-रक्षा के अनन्तर धनुष-यज्ञ दिखाने के बहाने उन्हें जनकपुर ले जाने, रंग-भूमि में पधारकर श्रीराम के धनुष तोड़ने तथा श्रीजनकराजतनया के उन्हें वरमाला पहनाने, लग्न पत्रिका तथा तिलक की सामग्री लेकर जनक पुरोधा महर्षि शतानन्दजी के अयोध्या जाने, महाराज दशरथ के बरात लेकर जनकपुर जाने, विवाह संस्कार सम्पन्न होने के अनन्तर बरात के बिदा होने, मार्ग में भृगुनन्दन परशुराम जी से भेंट होने तथा अन्त में अयोध्या पहुँचने पर वहाँ आनन्द मनाये जाने आदि प्रसंगों का संक्षेप में बड़ा ही सरस एवं सजीव वर्णन किया गया है; जो प्रायः रामचरितमानस से मिलता – जुलता ही है। कहीं-कहीं तो रामचरितमानस के शब्द ही ज्यों-के-त्यों दुहराये गये हैं।
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