Peela Sindoor ( Yellow Vermilion)

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Pure and sacred Yellow vermilion (Peela Sindoor). Basically, sindoor is a precious thing for a married woman in Hindu religion. It is used by the married woman on the centre of the forehead starting from mid of the centre hair side parting up to 1 inch above the head. It is believed that putting sindoor by the woman gives her husband a long life. Sindoor is also offered to Goddess Parvati, Lakshmi and others. Sindoor is also used in many rituals as well.

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हिंदू समाज में जब एक लड़की की शादी होती है, तो उसकी मांग में सिंदूर भरा जाता है। यह सिंदूर पति भरता है। वहीं कई-कई जगहों में पति की मां यानी विवाहिता की सास भी अपनी बहू की मांग भरती हैं।   इस प्रकार, जो पहचान बनती है उसका अटूट संबंध पति से होता है। मान्यता है कि विवाहित स्त्री जितनी लंबी मांग भरती है पति की आयु भी उतनी लंबी होती है। इसलिए ज्यादातर महिलाएं मांग भरकर सिंदूर लगाती हैं। सिंदूर का संबंध जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना और अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही, पत्नी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ भी है।

सिंदूर किसी भी शादी शुदा महिला के लिए उसके सुहागन होने का प्रतीक माना जाता है।

सिंदूर किसी भी शादी शुदा महिला के लिए उसके सुहागन होने का प्रतीक माना जाता है।हिन्दू धर्म में स्त्रियों की माँग में सिंदूर लगाना सुहागन होने और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। सुहागन के 16 श्रृंगार में एक सिंदूर अखंड सुहागन होने की निशानी होती है। ऐसी मान्यता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु और स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि होती है।

सिंदूर लगाने के पीछे कुछ धार्मिक कारण भी माने गए हैं।

धार्मिक महत्व –

  • सिंदूर लगाने की प्रथा का उल्लेख रामायण के समय में मिलता है। माता सीता रोज श्रृंगार के समय सिंदूर लगाती थीं। एक बार हनुमान जी के पूछने पर उन्होंने बताया था कि सिंदूर लगाना पति की लंबी उम्र की कामना का प्रतीक है। उनका सिंदूर लगाना भगवान राम को अच्छा लगता है जिससे उन्हें खुशी मिलती है और मन प्रसन्न रहता है।
  • लाल रंग शक्ति का प्रतीक- भारतीय पौराणिक कथाओं में लाल रंग के माध्यम से माता पार्वती की उर्जा को व्यक्त किया गया है। हिंदुओं का मानना है कि सिंदूर लगाने से माता पार्वती स्त्रियों को अखंड सुहागन होने का आशीर्वाद देती हैं।
  • देवी लक्ष्मी के सम्मान का प्रतीक- कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर पाँच स्थानों पर रहती हैं और उन्हें हिन्दू समाज में सिर पर स्थान दिया गया है। अत: सर में सिंदूर लगाना देवी लक्ष्मी के हमारे घर पर बास करने और भाग्य वृद्धि का संकेत है।

कुछ अन्य कारण जिसके कारण सिंदूर लगाने का प्रचलन है ।

  • शरीर रचना के अनुसार महिलाओं के माँग का स्थान जहाँ सिंदूर लगाया जाता है वह अधिक कोमल और संवेदनशील होता है। सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है जो सर को ठंढक देती है ।
  • शादी के बाद महिलाओं के ऊपर काफी जिम्मेदारी आ जाती है जिससे कभी तनाव भी होने लगता है ।सिंदूर लगाने से सिर दर्द, अनिद्रा, और मस्तिष्क से जुड़े रोग भी दूर होते हैं।
  • सिंदूर लगाने से महिलाओं की खूबसूरती बढ़ जाती है और उनके चेहरे पर हमेशा एक तेज दिखता है जो उनके रूप को प्रभावशाली बना देता है।

सिंदूर बुरे प्रभावों से बचाता है। माँग में जहाँ सिंदूर भरा जाता है वह स्थान ब्रह्म् रंध्र और अघ्मि नामक मर्म के ठीक ऊपर होता है । सिंदूर मर्म स्थान को बाहरी बुरे प्रभावों से बचाता है।

पूजा आदि शुभ कार्यो में भी इसका उपयोग होता है।सभी देवी-देवताओ की मूर्तियो को सिंदूर अर्पित किया जाता है।माता पार्वती, सीता जी, राधा जी को सिंदूर अर्पित किया जाता है।गणेश और हनुमान जी को भी सिंदूर अर्पित किया जाता है।

सिंदूर दो रंगो में पाया जाता है:-

1. लाल रंग का सिंदूर- अधिकतर पूजा और मांग में डालने के काम आता है।

2. पीले रंग का सिंदूर- यह सिंदूर ज्यादातार पूर्वी क्षेत्रोँ में महिलाये मांग भरने में प्रयोग करती है।इसके अतिरिक्त हनुमान जी पर चोला चढ़ाया जाता है व अन्य कार्यो में भी प्रयोग किया जाता है।

छठ पूजा के दौरान महिलाएं पीले रंग का लंबा गाढ़ा सिंदूर लगाती हैं.