हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसाट, कोई भी पूजा तब तक सफल नहीं मानी जाती है, जब तक की गणेश जी की पूजा न हो। पंडित जी पूजा के समय सुपारी को गणेश जी के प्रतीक स्वरुप औट नारियल को माता लक्ष्मी के प्रतीक स्वरूप पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पूजा में नारियल और सुपारी रखने से सभी कार्य बिना किसी बाधा के संपन्न होते हैं।
ऐसी भी मान्यता है कि किसी सुपारी की पूजा करके उसे हमेशा अपने पास रखते हैं तो उसका प्रभाव चमत्कारिक होता है। ऐसा करने से कभी रुपये-पैसे की तंगी नहीं रहती है।
ज्योतिषीय उपायों में भी सुपाटी के चमत्कारी गुण बताए गए हैं। यदि आप सुपारी को जनेऊ में लपेटकट पूजा करते हैं और उसे घट की तिजोरी में रखते हैं तो सुख-समृद्धि आती है। घर में साक्षात् लक्ष्मी माता का वास होता है। जनेऊ में लिपटी सुपारी गोटी गणेश का प्रतिरूप हो जाती है।
हिंदू शास्त्रों में सुपारी को जीवंत देव का स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि इसमें समस्त देवताओं का वास होता है। यही वजह है कि यदि हम किसी देवता का आवाहन कर रहे हों और हमारे पास उनकी प्रतिमा ना हो, तो उनके स्थान पर सुपारी रखी जाती है और पंडित मंत्रों द्वारा उसमें देवताओं का आवाहन कर पूजा संपन्न करवाते हैं। सुपारी को ब्रह्मा, यमदेव, वरूण देव और इंद्रदेव का प्रतीक माना जाता है।
ग्रहशांति से संबंधित पूजा में
यदि ग्रहशांति से संबंधित पूजा आयोजित की जा रही हो, तो सुपारी को मंगल, केतु, सूर्य, गुरू आदि ग्रहों का प्रतिनिधि माना जाता है। सुपारी को पूजा में अनुपलब्ध का स्थानापन्न माना जाता है। अर्थात् जिस भी हेतु से पूजा की जा रही है, यदि उसमें मुख्य पात्र उपलब्ध नहीं है, तो उसके स्थान पर सुपारी को रखकर पूजा पूरी की जा सकती है। उदाहरण के लिए कुछ पूजा अनुष्ठान पति-पत्नी दोनों के एक साथ बैठकर करने पर ही संपूर्ण माने जाते हैं। ऐसे में यदि पत्नी कहीं बाहर गई हो, पूजा स्थल पर उपस्थित ना हो या उसकी मृत्यु हो चुकी हो, तो उसके स्थान पर भी सुपारी की स्थापना कर पूजा का संपूर्ण फल पाया जा सकता है।
देवताओं को अर्पण
हमारे यहां पूजन में सुपारी देवताओं को अर्पित की जाती है। यह है कि सुपारी जैसी कड़ी वस्तु अर्पित कर हम अपने जीवन की कठिनाइयां, कठोरता देव को अर्पित कर उनसे याचना करते हैं कि वो हमारे जीवन में कोमलता, सरलता का वरदान दें। विश्वास किया जाता है कि देव उस सुपारी को ग्रहण कर जीवन की संपूर्ण कठिनाइयों को काट देते हैं।
पूजा में इस्तेमाल की गई सुपारी को कई लोग यहां-वहां रख देते हैं।
ऐसा बिलकुल न करें। पूजा में उपयोग की गई सुपारी को या तो जल में प्रवाहित कर दें या लाल कपड़े में अक्षत के साथ बांधकर तिजोरी में रखें।
इससे समृद्धि बनी रहती है।
पूजा की सुपारी को खाने के उपयोग में नहीं लेना चाहिए। अगर ऐसा करते हैं तो यह भयंकर दोष उत्पन्न करती है।
पूजा में इस्तेमाल की गई सुपारी पुरोहित, पंडित को दान में दे दें अथवा किसी मंदिर में चढ़ा दें।
पूजा में इस्तेमाल की गई सुपारी को अक्षत के साथ लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या गल्ले में रखें। धन का संचय शीघ्रता से होगा।
अगर आप कर्ज में डूबे हुए हैं तो सोमवार के दिन सात पूजा की सुपारी लेकर उसे अक्षत के साथ शिवलिंग पर अर्पित करें।
रोगी के ऊपर से पूजा की एक साबुत सुपारी और एक सिक्का लेकर सात बार पैर से सिर तक घुमाकर बहते पानी में प्रवाहित करें। इससे वह शीघ्रता से ठीक होने लगेगा।
हिंदू शास्त्रों में सुपारी को जीवंत देव का स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि इसमें समस्त देवताओं का वास होता है। यही वजह है कि यदि हम किसी देवता का आवाहन कर रहे हों और हमारे पास उनकी प्रतिमा ना हो, तो उनके स्थान पर सुपारी रखी जाती है और पंडित मंत्रों द्वारा उसमें देवताओं का आवाहन कर पूजा संपन्न करवाते हैं। सुपारी को ब्रह्मा, यमदेव, वरूण देव और इंद्रदेव का प्रतीक माना जाता है।
ग्रहशांति से संबंधित पूजा में
यदि ग्रहशांति से संबंधित पूजा आयोजित की जा रही हो, तो सुपारी को मंगल, केतु, सूर्य, गुरू आदि ग्रहों का प्रतिनिधि माना जाता है। सुपारी को पूजा में अनुपलब्ध का स्थानापन्न माना जाता है। अर्थात् जिस भी हेतु से पूजा की जा रही है, यदि उसमें मुख्य पात्र उपलब्ध नहीं है, तो उसके स्थान पर सुपारी को रखकर पूजा पूरी की जा सकती है। उदाहरण के लिए कुछ पूजा अनुष्ठान पति-पत्नी दोनों के एक साथ बैठकर करने पर ही संपूर्ण माने जाते हैं। ऐसे में यदि पत्नी कहीं बाहर गई हो, पूजा स्थल पर उपस्थित ना हो या उसकी मृत्यु हो चुकी हो, तो उसके स्थान पर भी सुपारी की स्थापना कर पूजा का संपूर्ण फल पाया जा सकता है।
देवताओं को अर्पण
हमारे यहां पूजन में सुपारी देवताओं को अर्पित की जाती है। यह है कि सुपारी जैसी कड़ी वस्तु अर्पित कर हम अपने जीवन की कठिनाइयां, कठोरता देव को अर्पित कर उनसे याचना करते हैं कि वो हमारे जीवन में कोमलता, सरलता का वरदान दें। विश्वास किया जाता है कि देव उस सुपारी को ग्रहण कर जीवन की संपूर्ण कठिनाइयों को काट देते हैं।
पूजा में इस्तेमाल की गई सुपारी को कई लोग यहां-वहां रख देते हैं।
ऐसा बिलकुल न करें। पूजा में उपयोग की गई सुपारी को या तो जल में प्रवाहित कर दें या लाल कपड़े में अक्षत के साथ बांधकर तिजोरी में रखें।
इससे समृद्धि बनी रहती है।
पूजा की सुपारी को खाने के उपयोग में नहीं लेना चाहिए। अगर ऐसा करते हैं तो यह भयंकर दोष उत्पन्न करती है।
पूजा में इस्तेमाल की गई सुपारी पुरोहित, पंडित को दान में दे दें अथवा किसी मंदिर में चढ़ा दें।
पूजा में इस्तेमाल की गई सुपारी को अक्षत के साथ लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या गल्ले में रखें। धन का संचय शीघ्रता से होगा।
अगर आप कर्ज में डूबे हुए हैं तो सोमवार के दिन सात पूजा की सुपारी लेकर उसे अक्षत के साथ शिवलिंग पर अर्पित करें।
रोगी के ऊपर से पूजा की एक साबुत सुपारी और एक सिक्का लेकर सात बार पैर से सिर तक घुमाकर बहते पानी में प्रवाहित करें। इससे वह शीघ्रता से ठीक होने लगेगा।
It is also believed that by worshipping a betel nut and keep it with you at all times, its effect is miraculous. By doing this, there is never a financial crisis of money.
Even in astrological remedies, the miraculous qualities of Supati are stated. If you worship betel nut wrapped in janeu and keep it in the vault of ghat, then happiness and prosperity comes. Lakshmi Mata resides in the house. Supari goti wrapped in janeu becomes a replica of Ganesha.
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