काशी के प्राचीन हनुमान मन्दिरों में से एक है बनकटी हनुमान जी का मन्दिर। यह मंदिर दुर्गाकुण्ड में में स्थित है।
काफी पहले इस स्थान पर घना वन था जिसमें चारों तरफ बड़े-बड़े वृक्ष थे मान्यता के अनुसार जंगल के बीच से ही हनुमान जी की मूर्ति मिली थी। इसलिए इस मूर्ति को बनकटी हनुमान जी कहा जाता है। धीरे-धीरे लोग बनकटी हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने लगे। काशी प्रवास के दौरान रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी नियमित बनकटी हनुमान जी के दर्शन-पूजन करने मंदिर आते थे। तुलसीदास जी की बनकटी हनुमान जी में बड़ी आस्था थी।
कहा जाता है कि एक बार बनकटी हनुमान जी कोढ़ी के रूप में तुलसीदास जी से मिले थे और अपना दर्शन दिया था। बनकटी हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि लगातार 41 दिनों तक इनका दर्शन करने से सारी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती है। मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित गया प्रसाद मिश्र के अनुसार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के दौरान पंडित मदन मोहन मालवीय ने लगातार 41 दिनों तक बनकटी हनुमान जी का दर्शन किया था। बनकटी हनुमान जी के दर्शन से सभी प्रकार के दुःख दूर हो जाते हैं। इस प्राचीन बनकटी जी के हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार 1972 में कराया गया था। वही वर्ष 2008-09 में भी मंदिर के कुछ हिस्से का निर्माण हुआ है।
मंदिर में हनुमान जी की उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मूर्ति स्थापित है। हनुमान जी की मूर्ति के ठीक सामने राम-जानकी का छोटा सा मंदिर मुख्य मंदिर परिसर में ही स्थित है। साथ ही मंदिर परिसर में विशाल पीपल का वृक्ष है। जिसके चारो ओर बने चबूतरे पर लोग दीये जलाते हैं। मंदिर में बड़ा कार्यक्रम नवम्बर महीने में आयोजित होता है। इस दौरान रामचरित मानस का नवाह पाठ होता है वहीं सायंकाल व्यास सम्मेलन का आयोजन होता है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं।
मंदिर में दूसरा बड़ा कार्यक्रम दीपावली वाले दिन होता है। इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर बनकटी हनुमान जी का भव्य श्रृंगार किया जाता है। साथ ही महाआरती होती है।
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