These Narmadeshwar Pendants are done by Rudrabhishek with complete rituals hence this is very sacred and auspicious. One can wear this Narmadeeshwar Pendant for a divine – Spiritual experience,
It can be worn during meditation for a strong concentration and feeling of real spiritual experience.
It can be worn all the time but removed during impure activities.
There are Panchayatans ( Surya Shila, Ganesh Shila, Ambika Shila, Shaligram Shila, and Narmeadeshwar ) Narmadeshwar or Banlingam is one of them.
Naramadeshwar is a Natural Pebble Made Shivlinga that is found in the stream bed of the Holy Narmada River.
देवमुनिप्रवरार्चितलिंगं कामदहं करुणाकरलिंगम्।
रावणदर्पविनाशनलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्।। (लिंगाष्टक २)
अर्थात्–जो शिवलिंग देवगण व मुनियों द्वारा पूजित, कामदेव को नष्ट करने वाला, करुणा की खान, रावण के घमण्ड को नष्ट करने वाला है, उस सदाशिव-लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ।
नर्मदा नदी के शिवलिंग को नर्मदेश्वर या बाणलिंग क्यों कहते हैं?
नर्मदेश्वर शिवलिंग इस धरती पर केवल नर्मदा नदी में ही पाए जाते हैं। यह स्वयंभू शिवलिंग हैं। इसमें निर्गुण, निराकार ब्रह्म भगवान शिव स्वयं प्रतिष्ठित हैं। नर्मदेश्वर लिंग शालग्रामशिला की तरह स्वप्रतिष्ठित माने जाते हैं, इनमें प्राण-प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं रहती है। नर्मदेश्वर शिवलिंग को वाणलिंग इसलिए कहते है क्योंकि बाणासुर ने तपस्या करके महादेवजी से वर पाया था कि वे अमरकंटक पर्वत पर सदा लिंगरूप में प्रकट रहें। इसी पर्वत से नर्मदा नदी निकलती है जिसके साथ पर्वत से पत्थर बहकर आते हैं इसलिए वे पत्थर शिवस्वरूप माने जाते हैं और उन्हें ‘बाणलिंग’ व ‘नर्मदेश्वर’ कहते हैं।
नर्मदेश्वर शिवलिंग की महिमा
सहस्त्रों धातुलिंगों के पूजन का जो फल होता है उससे सौगुना अधिक मिट्टी के लिंग के पूजन से होता है। हजारों मिट्टी के लिंगों के पूजन का जो फल होता है उससे सौ गुना अधिक फल बाणलिंग (नर्मदेश्वर) के पूजन से होता है। अत: गृहस्थ लोगों को परिवार के कल्याण के लिए, लक्ष्मी व ज्ञान की प्राप्ति व रोगों के नाश के लिए नर्मदेश्वर शिवलिंग की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए।
–भगवान शंकर ज्ञान के देवता हैं। लिंगाष्टक में कहा गया है–’बुद्धिविवर्धनकारण लिंगम्’, अत: शिवलिंग पूजा बुद्धि का वर्धन करती है, तथा साधक को अक्षय विद्या प्राप्त हो जाती है।
–नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा से अनेक जन्मों के संचित पाप नष्ट हो जाते हैं।
–नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाली व अपार सुख देने वाली है।
–नर्मदेश्वर शिवलिंग पर यदि रोजाना ‘त्र्यम्बकं मन्त्र’ बोलते हुए जल की धारा चढ़ाई जाए तो रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
स्कन्दपुराण में कहा गया है कि चातुर्मास्य में जो पंचामृत से नर्मदेश्वर शिवलिंग को स्नान कराता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता। जो नर्मदेश्वर शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करता है उसके सभी दु:ख दूर हो जाते हैं, और जो चातुर्मास्य में शिवजी के आगे दीपदान करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है।
महाभारत के अनुशासनपर्व (१५।११) में कहा गया है–
नास्ति शर्वसमो देवो नास्ति शर्वसमा गति:।
नास्ति शर्वसमो दाने नास्ति शर्वसमो रणे।।
अर्थात्–’शिव के समान देव नहीं है, शिव के समान गति नहीं है, शिव के समान दाता नहीं है, शिव के समान योद्धा (वीर) नहीं है।’
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