Saral Sri Durga Saptsati (Gita Press)

35.00

1355 Sachitra Stuti Sangrah by Gita Press, Gorakhpur

Saral Durga Saptsati ( Including the original text method ) (For those learning to read Sri Durga Saptsati)

For the convenience of the general readers learning the correct pronunciation of Sridurgasaptashti, the difficult words of each stage have been printed in two colours, separated by composite marks. This will help in understanding each stage of the verse.

Out of stock

2236 Saral Sri Durga Saptsati by Gita Press, Gorakhpur

॥ श्रीदुर्गादेव्यै नमः॥

श्रीदुर्गासमशती हिंदू धर्मका सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवतीकी कृपाकै सुन्दर इतिहासके साथ ही बड़े बड़े गृढ़ साधन रहस्य भरे हैं। कर्म, भक्ति और ज्ञानकी त्रिविध मन्दाकिनी बहानेवाला यह ग्रन्थ भक्तोंके लिये वांछा कल्पतरु है। सकाम भक्त इसके सेवन से मनोभिलषत दुर्लभतम वस्तु या स्थिति सहज ही प्राप्त करते हैं और निष्काम भक्त परम दुर्लभ मोक्षको पाकर कृतार्थ होते हैं।

राजा सुरथसे महर्षि मेधाने कहा था-‘तामुपैहि महाराज शरणं परमेश्वरीम् । आराधिता सैव नृणां भोगस्वर्गापवर्गदा ॥ महाराज ! आप उन्हीं भगवती परमेश्वरीकी शरण ग्रहण कीजिये। वे आराधनासे प्रसन्न होकर मनुष्योंको भोग, स्वर्ग और अपुनरावर्ती मोक्ष प्रदान करती हैं।’ इसीके अनुसार आराधना करके ऐश्वर्यकामी राजा सुरथ ने अखण्ड साम्राज्य प्राप्त किया तथा वैराग्यवान् समाधि वैश्य ने दुर्लभ ज्ञानके द्वारा मोक्ष की प्राप्ति की।

अबतक इस आशीर्वाद रूप मन्त्रमय ग्रन्थके आश्रय से न मालूम कितने आर्त, अर्थार्थी, जिज्ञासु तथा प्रेमी भक्त अपना मनोरथ सफल कर चुके हैं। हर्षकी बात है कि जगज्जननी भगवती श्रीदुर्गाजीकी कृपासे वही श्रीदुर्गासप्तशती संक्षिप्त पाठ-विधिसहित उन सभी महानुभाव पाठकोंके लिये है जो इसका शुद्ध पाठ करना तो चाहते हैं पर कर नहीं पाते हैं। इसी सद्भावनासे प्रेरित होकर माँ भगवतीकी अहेतुकी कृपा से एक ‘सरल श्रीदुर्गासप्तशती’ तैयार की गयी है जिससे सामान्य शिक्षित व्यक्ति भी कम-से-कम श्रीदुर्गासप्तशती का ठीक ढंगसे पाठ करके अपना कल्याण कर ले। इस सप्तशतीका एकमात्र उद्देश्य सर्व सामान्यको सप्तशतीके  श्लोकों को पढ़ने का अभ्यास कराना है।

श्रीदुर्गासप्तशतीका सही उच्चारण सीखनेवाले सामान्य पाठकोंकी सुविधाके लिये प्रत्येक चरणके कठिन शब्दोंको सामासिक चिह्नोंसे अलग करके दो रंगोंमें छापा गया है। इससे श्लोक के  प्रत्येक चरणको समझने में सहायता मिलेगी।

सप्तशतीके पाठमें विधिका ध्यान रखना तो उत्तम है ही, उसमें भी सबसे उत्तम बात है भगवती दुर्गामाताके चरणों में प्रेमपूर्ण भक्ति। श्रद्धा और भक्तिके साथ जगदम्बाके स्मरणपूर्वक सप्तशतीका पाठ करनेवालेको उनकी कृपाका शीघ्र अनुभव हो सकता है।

विषय-सूची

१- प्राक्कथन 

२- सप्तश्लोकी दुर्गा.

३- श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्

४- पाठविधिः

१-देव्याः कवचम्

२-अर्गला-स्तोत्रम्

३-कीलकम्..

४-वेदोक्तं रात्रि-सूक्तम्.

५-तन्त्रोक्तं रात्रि-सूक्तम्.

६-श्रीदेव्यथर्वशीर्षम्.

७-नवार्ण-विधिः

८-सप्तशती-न्यासः

५- श्रीदुर्गासप्तशती

६- उपसंहारः

१-ऋग्वेदोक्तं देवी-सूक्तम्

२-तन्त्रोक्तं देवी-सूक्तम्

3- प्राधानिक रहस्यम्

४ -वैकृतिकं रहस्यम्

५-मूर्तिरहस्यम्.

६-क्षमा-प्रार्थना

७-श्रीदुर्गामानस-पूजा

८-दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला

९-देव्यपराध-क्षमापन-स्तोत्रम्

10-सिद्धकुञ्जिका-स्तोत्रम्

११-सप्तशतीके कुछ सिद्ध सम्पुट-मन्त्र

१२-श्रीदेवीजीकी आरती

१३- श्रीदुर्गाचालीसा

 

Weight 175 g
Dimensions 20 × 13.5 × .8 cm

Brand

Geetapress Gorakhpur

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Saral Sri Durga Saptsati (Gita Press)”
Review now to get coupon!

Your email address will not be published. Required fields are marked *