भगवत्प्रेम-प्राप्ति और भगवान्से तादात्म्य स्थापित करने में भक्ति संगीत का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मीराँके भजन, सूर-तुलसीके पद और महाप्रभु चैतन्यकी प्रेममयी सस्वर संकीर्तन-साधना आज भी सर्वसामान्य को आकृष्ट करने और भाव-तन्मयता प्रदान करने में सक्षम है। तभी तो भावमय भजनों का एकान्त सेवन, सामूहिक गायन अथवा सस्वर नाम कीर्तन प्रेम भक्ति-साधना का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम और सुगम साधन माना जाता है।
प्रस्तुत पुस्तक भगवान् श्रीराम तथा भगवान् श्रीकृष्ण के पद्यमय गुणानुवाद एवं लीला-प्रसङ्गोंसहित कुछ स्फुट भावमय भजनों का संग्रह है । इसके पहले यह श्रीरामलीला-भजनावली’ और’ श्रीकृष्णलीला-भजनावली’ के नाम से दो अलग-अलग भागों में प्रकाशित हो चुकी है। अब ‘श्रीराम- कृष्णलीला-भजनावली’ के नाम से वे दोनों भाग कुछ संशोधन और परिवर्द्धन के साथ आपकी सेवा में अर्पित हैं। कुछ नये पद जो परिशिष्ट के रूप में पुस्तक के अन्त में दिये गये थे, उन पद्यों को यथास्थान पद्यों के क्रम में जोड़ दिया गया है। एक जिज्ञासुद्वारा संकलित एवं कुछ स्वरचित भजनों का यह संग्रह सरल हिन्दी एवं समझने योग्य राजस्थानी भाषा में है, जिस पर सुललित व्रजभाषा-शैली का भी प्रभाव है। इन भजनों को बार-बार पढ़ने एवं सस्वर भाव सहित गायन करनेप र प्रेम और आनन्द की अनुभूति सम्भव है।
भगवत्प्रेमी महानुभाव, श्रद्धालु माताएँ, भावमयी देवियों सहित सरल हृदय बालकों के लिये भी यह भजनावली अधिकाधिक उपयोगी सिद्ध होगी।
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