त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य का होने से इसमें भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता-जैसे अनन्त पुष्पों की दिव्य सुगन्ध है। मूल के साथ सरस हिन्दी अनुवाद में दो खण्डों में उपलब्ध सचित्र, सजिल्द ।
Srimad Valmiki Ramayana (Sanskrit _ Hindi) Sampoorn
₹350.00 – ₹700.00
Maharishi Valmiki Pranit SriMadValmikiya Ramayan (with Pictures and Hindi Translation)
Srimad Valmiki Ramayan in Sanskrit with Hindi Translation Published by Gita Press, Gorakhpur.
Available in 2 parts
- 1st Part is from Bal kand to Khiskindha Kand.
- 2nd Part is from Sundarkand to Uttarkand.
This is the original Ramayan Epic which has been translated into many languages including Goswami Tulsidas’s Ramcharitmanasa in Awadhi.
Weight | 1580 g |
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Dimensions | N/A |
Vol: | Part 1, Part 2, Both Part 1 & 2 |
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