KISHOR GRANTHAMALA 63 MUDRĀ RAHASYA With Hindi Commentary By Pt. Harihar Prasad Tripathi
प्रस्तुत पुस्तक ‘मुद्रा रहस्य’ में देवपूजन की मुद्राओं का उल्लेख किया गया है । इसके साथ ही योगसाधन की मुद्राएँ भी उल्लिखित हैं । योगाभ्यासी साधक मुद्राओं के आश्रयण से जराव्याधि से रहित हो जाता है। इन मुद्राओं के द्वारा अनेक प्रकार के दुःसाध्य रोग भी निर्मूल हो जाया करते हैं ।
इस पुस्तक के परिशिष्ट भाग में पूजनोपयोगी कुछ नियम भी दे दिये गये हैं, जैसे- देवपूजन की उपयुक्त तिथियाँ, दश महाविद्या के जपमंत्र, जप के विधान, जप का माहात्म्य आदि अनेक विषय दिये गये हैं जो उपासक के लिए परमावश्यक एवं अत्यन्त उपयोगी है ।
पुस्तक में पाराशर संहिता, शैवरत्नाकर, शारदातिलक, वाराही तंत्र एवं मंत्रमहार्णव आदि ग्रन्थों से भी सहायता ली गयी है ।
अनुक्रमणिका
देवताओं के आवाहन-स्थापन हेतु प्रयुक्त होने वाली नव मुद्राएं आवाहनी, स्थापनी, सत्रिधापिनी, सम्बोधिनी, सम्मुखीकरण, सकलीकरण, अवगुण्ठनी, धेनु तथा परमीकरण ।
पगन्यास की छह मुद्राएं
हृदयमुद्रा, शिरोमुद्रा, शिखामुद्रा, कवचमुद्रा, नेत्रमुद्रा तथा मुद्रा ।
पंचोपचार पूजन की पंच मुद्राएं
गन्ध मुद्रा, पुष्प मुद्रा, धूप मुद्रा, दीपमुद्रा तथा नैवेद्य -पूजन की मुद्रा ।
पक्षप्राण की पाँच मुद्राएँ
प्राणमुद्रा, अपानमुद्रा, व्यानमुद्रा, उदान मुद्रा एवं समान मुद्रा ।
षोडशोपचार पूजन में प्रयुक्त होनेवाली सोलह मुद्राएँ
आवाहनी मुद्रा, पद्य मुद्रा, स्वागत मुद्रा, पाद्य मुद्रा, अर्घ्य मुद्रा, आचमनी मुद्रा, स्नान मुद्रा, वस्त्र मुद्रा, आभूषण मुद्रा, यज्ञोपवीत मुद्रा, गन्धमुद्रा, पुष्प मुद्रा, धूप मुद्रा, दीपमुद्रा, नैवेद्य मुद्रा एवं विसर्जन मुद्रा ।
षोडशोपचार पूजन-माहात्म्य
विष्णुपूजन में प्रयुक्त होने वाली उन्नीस मुद्राएँ
शंख मुद्रा, चक्र मुद्रा, गदा मुद्रा, पद्म मुद्रा, वेणु मुद्रा, औवत्स मुद्रा, कौस्तुभ मुद्रा, वनमाला मुद्रा, ज्ञान मुद्रा, बिल्व मुद्रा, गरुड़ मुद्रा, नारसिंही मुद्रा, वाराह मुद्रा, हयग्रीव मुद्रा, धनुर्मुद्रा, बाण मुद्रा, परशु मुद्रा, काम मुद्रा एवं राज्य मोहिनी मुद्रा ।
शिवपूजन हेतु प्रयुक्त होने वाली दश मुद्राएँ लिंग मुद्रा, योनिमुद्रा, त्रिशूल मुद्रा, अक्षमाला मुद्रा, कर मुद्रा, अभय मुद्रा, मृग मुद्रा, खट्वांग मुद्रा, कपाताख्य मुद्रा एवं डमरू मुद्रा ।
सप्त मुद्राएँ
दन्त मुद्रा, पाश मुद्रा, अंकुश मुद्रा, विष्न मुद्रा, मोदक मुद्रा, परशु मुद्रा एवं बीजपूर मुद्रा ।
सरस्वती-पूजन की चार मुद्राएँ
वीणा मुबा, पुस्तक मुद्रा, व्याख्यान मुद्रा एवं अक्षमाला मुद्रा ।
लक्ष्मी पूजन हेतु प्रयोग की जाने वाली षडंग मुद्राएँ
हृदय मुद्रा, शिरोमुद्रा, कवच मुद्रा, नेत्रमुद्रा, अस मुद्रा एवं उपांग मुद्रा ।
लक्ष्मी-पूजन में प्रदर्शित की जाने वाली मुद्राएँ शक्तिमुद्रा एवं लक्ष्मी मुद्रा ।
लक्ष्मी-बीजमन्त्र प्रयोग शक्तिपूजा में उपयोगी मुद्राएँ (घट-स्थापन में)
मत्स्य, अस्त्र, कवच, धेनु, संरोधिनी, मुसल, मामा चक्र, महामुद्रा तथा योनिमुद्रा ।
( आयुध मुद्रा में)
खड्ग, गदा, बाण, धनुष, परिघ, शूल, हल, घंटा, भुशुंडी, कुंडिका, दंड, शक्ति, चर्म, पाश, परशु, पद्म, खट्वांग, कपाल, पुस्तक, ज्ञान, मुण्ड , अक्षमाला, तर्जनी मुद्रा, वर मुद्रा, अभय मुद्रा प्रणाम मुद्रा, संहार एवं वज्र मुद्रा ।
तान्त्रिक हवन-मुद्रा
मयूरी, कुक्कुही, हंसी, मृगी एवं शूकरी मुद्रा ।
श्री चक्र एवं त्रिपुरसुन्दरी पूजन में व्यवहृत होने वाली मुद्राएँ त्रिखण्ड मुद्रा, सर्वसंक्षोभिणी, द्राविणी, सर्ववशंकरी, उन्मादिनी, महांकुश, खेचरी, बीज तथा योनिमुद्रा । मातृकान्यास में व्यवहृत होने वाली मुद्राएँ पूजन-काल की मुद्राएँ
ब्राह्मी वज्र, लोकपाल, वहनप्राकार, गालिनी, रिपुजिह्वाग्रहा, सप्तजिहा, तर्जनी, प्रार्थना, अंजलि, विस्मय, कालकर्णी, एवं दुर्गा मुद्रा ।
बहिर्मातृकान्यास की मुद्राएँ जीव-न्यास के निमित्त छह मुद्राएँ
दश महाविद्या के अन्तर्गत तारापूजन की मुद्राएँ
योनिमुद्रा, भूतिनी, बीज, दैत्य भूमिती एवं लेलिहान मुद्रा ।
महाकाली पूजन की मुद्राएं
महायोनि, मुण्ड तथा भूतिनी मुद्रा ।
मुद्रा प्रयोग-विधान एवं कुछ अन्य मुद्राओं के लक्षण
माराच, दारण, पंचमुख, अंत, विष्वक्सेन, गणेश, न्यास, सौभाग्यदडिनी, चतुरस, रिपु जिहि महा, क्रोध, बलिदान, तर्पण, कुम्भ, लड़क, प्रधान, बीजापुर, प्राणायाम, महांकुश, गोकर्ण, आचमन, खेचरी, महामुद्रा, वनमाला एवं वाराहमुदा ।
षट्कर्मानुसार तर्पण की विशिष्ट मुद्राएँ
सूची एवं क्षमापनी मुद्रा ।
मन्त्रों के अधिष्ठाता देवता तथा हृदयशिर आदि मुद्राओं के भेद
पुरश्चर्यार्णव के मतानुसार कुछ मुद्राओं के प्रायोगिक लक्षण
योग-साधना सम्बन्धी कुछ मुद्राओं का विवेचन
महा मुद्रा, महाबंध, महावेध, खेचरी, उड्डीयान बंध मूलबंध, जालधर बंध, वज्रोली, विपरीतकरणी त्रिमुख, चतुर्मुख, पंचमुख, षण्मुख, अधोमुख, व्यापक, अंजलि, शकट, यमपाश, प्रथित, सम्मुखोन्मुख, विलम्ब, मुष्टि, मत्स्य, कूर्म, वाराह, सिंहाक्रान्त, महाक्ान्त, मुद्गर, पल्लव, धेनु, ज्ञान, वैराग्य, योनि, शंख, पद्म, लिंग शक्तिचालन, अश्विनी, षण्मुखी, काकी, योनि, योग, शाम्भवी, चिन्मुद्रा एवं उन्मनी मुद्रा । गायत्री-पूजन में व्यवहृत होने वाली मुद्राएँ
सम्मुख, सम्पुट, वितत, विस्तीर्ण, द्विमुख तथा निर्याण मुद्रा ।
ध्यान-धारणा हेतु पश्चतत्त्व की मुद्राएँ पृथिवी, आभ्भसी, वैश्वानरी, वायु एवं आकाश मुद्रा ।
रोगोपचार हेतु कुछ अन्य मुद्राएँ
पृथ्वी, जल, वायु, तथा, आकाश, काकचंचु, ज्ञान, प्राण, चिन्मय, हृदय, सर्वरागहारी, लिंग, नेत्र निमिलन, अश्विनी, 4. महाबंध एवं विपरीतकरणी मुद्रा ।
पंचबलि मुद्राएँ
गणेश, बटुक, क्षेत्रपाल, योगिनी एवं सर्वभूत मुद्रा हवन-विधि एवं मुद्राएँ अवगुंठन, मृगी, हंसी तथा शूकरी मुद्रा । परिशिष्ट
समस्त देवों के पूजनार्थ उपयुक्त तिथियाँ देवपूजन में ग्राह्य-अग्राह्य पुष्पों के प्रयोग आयुर्वेद मतानुसार पुष्पों की गुणवत्ता पूजनोपयोगी कुछ अन्य नियम दश महाविद्या के जापमन्त्र
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