Dasmahavidya

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1278 Dasmahavidya in Hindi with pictures by Gita Press Gorakhpur.

दशमहाविद्या की पुराणों तथा अन्य वैदिक, धार्मिक, शास्त्रीय ग्रन्थोंमें अतुलनीय महिमा बतायी गयी है।  इस पुस्तक द्वारा दसमहाविद्या के दसों स्वरूपों के उद्धव, उद्देश्य, उपासना-विधि और इससे प्राप्त होनेवाले फलोंका अत्यन्त सरल ढंगसे कथाके रूपमें वर्णन किया गया है। पुस्तकमें आर्टपेपरपर छपे हुए दसमहाविद्या के दसों स्वरूपों के अत्यन्त आकर्षक रंगीन चित्र भी दिये गये हैं। इस पुस्तकके अध्ययन-मनन और चित्रोंके दर्शन-अवलोकनद्वारा भक्त, साधक और सामान्यजन भी भरपूर लाभ उठा सकते हैं।

 

दशमहाविद्या अर्थात महान विद्या रूपी देवी। महाविद्या, देवी दुर्गा के दस रूप हैं, जो अधिकांश तान्त्रिक साधकों द्वारा पूजे जाते हैं, परन्तु साधारण भक्तों को भी अचूक सिद्धि प्रदान करने वाली है। इन्हें दस महाविद्या के नाम से भी जाना जाता है। ये दसों महाविद्याएं आदि शक्ति माता पार्वती की ही रूप मानी जाती हैं। दस महाविद्या विभिन्न दिशाओं की अधिष्ठातृ शक्तियां हैं। भगवती काली और तारा देवी- उत्तर दिशा की, श्री विद्या (षोडशी-त्रिपुर सुन्दरी)- ईशान दिशा की, देवी भुवनेश्वरी, पश्चिम दिशा की, श्री त्रिपुर भैरवी, दक्षिण दिशा की, माता छिन्नमस्ता, पूर्व दिशा की, भगवती धूमावती पूर्व दिशा की, माता बगला (बगलामुखी), दक्षिण दिशा की, भगवती मातंगी वायव्य दिशा की तथा माता श्री कमला र्नैत्य दिशा की अधिष्ठातृ है।

दशमहाविद्या की पुराणों तथा अन्य वैदिक, धार्मिक, शास्त्रीय ग्रन्थोंमें अतुलनीय महिमा बतायी गयी है।  इस पुस्तक द्वारा दसमहाविद्या के दसों स्वरूपों के उद्धव, उद्देश्य, उपासना-विधि और इससे प्राप्त होनेवाले फलोंका अत्यन्त सरल ढंगसे कथाके रूपमें वर्णन किया गया है। पुस्तकमें आर्टपेपरपर छपे हुए दसमहाविद्या के दसों स्वरूपों के अत्यन्त आकर्षक रंगीन चित्र भी दिये गये हैं। इस पुस्तकके अध्ययन-मनन और चित्रोंके दर्शन-अवलोकनद्वारा भक्त, साधक और सामान्यजन भी भरपूर लाभ उठा सकते हैं।