1156 Ekadash Rudra (Shiva ) Large Picture book by Gita Press, Gorakhpur
भगवान् सदा शिव के जिस संहारक स्वरूप को रुद्र कहा गया है उसकी उपाधियाँ अनन्त हैं। उनकी गणना त्रिकाल में भी नहीं की जा सकती। ये सभी नीलकण्ठ ही रहते हैं। एकादश रुद्रों की कथा न केवल महाभारत और पुराणादि में वर्णित है, अपितु उनका उल्लेख ऋग्वेदादि में भी मिलता है।
एकादश रुद्रों की विभूति समस्त देवताओं में विद्यमान है। वैसे तो भगवान् रुद्रदेव का सम्यक् वर्णन सामान्य मस्तिष्क से परे है। फिर भी सर्वसाधारण को भी – शम्भु, पिनाकी, गिरीश, स्थाणु, भर्ग, सदाशिव, शिव, हर, शर्व, कपाली तथा भव- इन एकादश रुद्रोंका परिचय सुलभ हो जाय, इसी भावनासे प्रेरित होकर गीताप्रेसने श्रीरामसागर पाण्डेयद्वारा प्रस्तुत चित्ताकर्षक आवरणसहित सचित्र एकादश रुद्रोंका परिचय जनमानस तक पहुँचाने का एक लघु प्रयास किया है। आशा एवं विश्वास है कि शिवभक्तों के लिये यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी
तव तत्त्वं न जानामि कीदृशोऽसि महेश्वर यादृशोऽसि महादेव तादृशाय नमो नमः ॥
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