UNIVERSITY-SILVER JUBILEE-GRANTHAMĀLĀ [Vol. 16]
KĀŚHĪ YĀTRĀ Of ŚRĪ NĀRĀYAŅAPATI TRIPĀȚHI
FOREWORD BY PROF. YADUNATH PRASAD DUBEY VICE-CHANCELLOR
EDITED BY: ACĀRYA ŚRĪ KARUŅĀPATI TRIPATHI Ex-Vice-Chancellor Sampurnanand Sanskrit Vishvavidyalaya, Varanasi
‘काशी -यात्रा’ में काशी के प्रमुख देवों, देवगणों, यात्राओं, कुण्डों, तीर्थ-कूपों आदि की चर्चा की गई है। पर उनके अतिरिक्त भी बहुत-से देवादिक हैं, जिनका दर्शन, पूजन, यात्रा और स्नान आदि काशी में होते रहते हैं।
काशीपुरी शिवलिङ्गों को ही नगरी नहीं है । यहाँ भारतवर्ष के प्रतिनिधिरूप सभी देव-देवी, शक्ति-योगिनो, कूप-कृण्ड, क्षेत्र-धाम-प्रभूति स्थायीरूप से निवास करते हैं। पुराणों और पूर्वकालीन धर्मशास्त्रकोविदों की मान्यता के अनुसार कहा तो यह जाता है कि सोलह कलाओं या अंशों के पूर्ण रूपों में १२ (बारह) कलाओं से उपर्युक्त संग्रह धामादि वाराणसी में रहते हैं और चार अंशों से अपने-अपने धाम स्थानों में ।
इसका तात्पर्य इतना ही है कि काशी की समस्त यात्राओं ओर देवों का वर्णन करना मानव-लेखनो की क्षमता से बाहर है।
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