ज्योतिष के अनुसार दीपक को सकारात्मकता का प्रतीक व दरिद्रता को दूर करने वाला माना जाता है। पूजा के दौरान और उसके बाद भी कई घंटों तक दीपक जलते रहना शुभ माना जाता है। देवपूजा में दीपक का बड़ा महत्त्व माना गया है। सामान्यतया घी या तेल के दीपक जलाने की परंपरा रही है।
घर का मंदिर ईशान कोण में तथा दीपक की लौ पूर्व और उत्तर दिशा में हो!
दीपक हमें रोशनी प्रदान करता है। रोशनी से संबंध में शास्त्रों में एक पंक्ति उल्लेखनीय है –
“असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमया। मृत्योर्मामृतं गमय॥ ॐ शांति शांति शांति!” (स्रो: बृहदारण्यक उपनिषद् 1.3.28)।१)
जब भी आप पूजा करते है तो घर का मंदिर हमेशा ईशान कोण में होना चाहिए और दीपक की लो हमेशा पूर्व और उत्तर दिशा की और होना चाहिए । इनसे धन प्राप्ति के योग बनते है और मनोकामना पूर्ण होती है । २) जब भी आप दीपक जलाये तो ध्यान रखे कि दीपक हमेशा साफ़ सुधरा होना चाहिए । कही भी टूटा हुआ, खण्डित नहीं होना चाहिए ।
तेल का दीपक अपनी पवित्र तरंगों को अपने स्थान से कम से कम एक मीटर तक फैलाने में सफल होता है। उससे उत्पन्न होने वाली तरंगे दीपक के बुझने के आधे घंटे बाद तक वातावरण को पवित्र बनाए रखती हैं। घी का दीपक जल रहा हो तो इसकी पवित्रता स्वर्ग लोक तक पहुंचने में सक्षम होती है। घी वाला दीपक बुझने के बाद भी करीब चार घंटे से भी ज्यादा समय तक अपनी सात्विक ऊर्जा को बनाए रखता है।
तेल का दीपक कष्ट-समस्या निवारक, सुख-समृद्धि के लिए घी का दीपक!
तेल का दीपक हमेशा कष्ट और समस्या निवारण के लिए इस्तेमाल होता है। घी का दीपक मनोकामना पूर्ति के लिए और सुख समृद्धि प्राप्ति के लिए होता है । घी का दीपक हमेशा अपने दाहिनी तरफ और तेल का दीपक हमेशा अपनी बाईं तरफ रखना चाहिए । जब आप भी आप दीपक जलाएं तो घी में तेल को नहीं मिलाना चाहिए । गाय के घी में रोगाणुओं को भगाने की क्षमता होती है। यह घी जब दीपक की सहायता से अग्नि के संपर्क में आता है तो वातावरण को पवित्र बना देता है। इसके जरिये प्रदूषण दूर होता है। ९) इसी तरह के गुण तिल के तेल में भी पाये जाते हैं। यह भी आक्सीजन की वृद्धि करता है। माना जाता है कि दीपक जलाने से पूरे घर को फायदा मिलता है। चाहे उस घर का कोई व्यक्ति पूजा में सम्मिलित हो या ना हो, उसे भी इस ऊर्जा का लाभ प्राप्त होता है!
घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग करना चाहिए। जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती ज्यादा शुभ रहती है।
पूजा में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। पूजा-पाठ में खंडित चीजें शुभ नहीं मानी जाती है।
हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए तिल के तेल आठ बत्तियों वाला दीपक जलाना अत्यन्त लाभकारी रहता है।
देवी जी को हमेशा तिल के तेल का ही दीपक जलाना चाहिए, साथ में गाय के घी का भी जलाना चाहिए, दाऐ तरफ घी का और बांऐ तरफ तिल के तेल का दीपक रखना चाहिए! देवी कृपा से अपार आध्यात्मिक और शारिरिक शक्ति प्राप्त होती है। *अगर घर में नियमित रूप से दीपक जलाया जाता है तो वहां हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। दीपक के धुएं से वातावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार रोज शाम को मुख्य द्वार के पास दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसी वजह से शाम को मेन गेट के पास दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है।
दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धन लाभ होता है। *दीपक की लौ कभी भी दक्षिण दिशा की ओर न रखें, ऐसा करने से जन या धनहानि होती है।
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए आठ या बारह मुखी दीपक को पीले सरसो के तेल के साथ जलाना चाहिए।
शत्रु दमन हेतु भैरव जी के समक्ष सरसों या तिल तेल का चौमुखी दीपक
शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या से पीड़ित लोग शनि मन्दिर में शनि स्त्रोत का पाठ करें और तिल के तेल का दीपक जलायें।
शिक्षा में सफलता पाने के लिए सरस्वती जी की आराधना करें और दो मुखी घी वाला दीपक जलाने से अनुकूल परिणाम आते हैं।
भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों वाला गाय के घी का दीपक जलाना लाभप्रद होता है।
इष्ट सिद्धि, ज्ञान प्राप्ति के लिए गहरा और गोल दीपक प्रयोग में लें। शत्रुनाश, आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक इस्तेमाल करें।
माना जाता है दीपक प्रज्वलित करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती है, लेकिन दीपक के साथ भिन्न-भिन्न तरीके के उपयोग आपकी किस मनोकामना को पूरा कर सकते हैं।
दीपक जलाते समय और मंदिर में आरती लेते समय जप-मंत्र
मंत्र- दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:। दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणम आरोग्यं सुखं सम्पदां। शत्रुबुद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।
इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का नाश और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली दीपक की ज्योति को हम नमस्कार करते हैं। इस प्रकार दीपक जलाकर मंत्र बोलने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और शत्रुओं से हमारी रक्षा होती है।
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