Manasagari मानसागरी (सचित्र) संस्कृत – हिंदी अनुवाद सहित

275.00

मानसागरी (सचित्र) संस्कृत – हिंदी अनुवाद सहित

MANASAGARĪ [AN ASTROLOGICAL TEXT WITH MANORAMA HINDI COMMENTARY]

Edited and Translated

by Dr. Ramchandra Pandey Reader in Jyotish Faculty of Oriental Learning and Theology Banaras Hindu University Varanasi

मानसागरी के इस संस्करण के सम्पादन में मानसागरी उपलब्ध संस्करणों का सहयोग लिया गया हैतथा विषयवस्तु को शुद्ध औ सरल ढङ्ग से प्रस्तुत करने के लिए बृहत्पाराशरहोरा, बृहज्जातक, महलाघव, मुहूर्त चिन्तामणि, नरपतिजयचर्या एवं मुकुन्दविजय प्रभुति प्रत्थों का भी सहयोग लिया गया है मूल की रचना में भी इन ग्रन्थों का उपयोग किया गया है। आमास बहुत से स्थलों पर सरलता पूर्वक हो जाता है । अतएव इन्ही सहयोग से यथासम्भव शुद्ध पाठ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।

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sri kashi vedic sansthan

MANASAGARĪ [AN ASTROLOGICAL TEXT WITH MANORAMA HINDI COMMENTARY]

Edited and Translated

by Dr. Ramchandra Pandey Reader in Jyotish Faculty of Oriental Learning and Theology Banaras Hindu University Varanasi
मानसागरी (सचित्र) संस्कृत – हिंदी अनुवाद सहित

प्रस्तुत संस्करण – मानसागरी के इस संस्करण के सम्पादन में मानसागरी उपलब्ध संस्करणों का सहयोग लिया गया हैतथा विषयवस्तु को शुद्ध औ सरल ढङ्ग से प्रस्तुत करने के लिए बृहत्पाराशरहोरा, बृहज्जातक, महलाघव, मुहूर्त चिन्तामणि, नरपतिजयचर्या एवं मुकुन्दविजय प्रभुति प्रत्थों का भी सहयोग लिया गया है मूल की रचना में भी इन ग्रन्थों का उपयोग किया गया है। आमास बहुत से स्थलों पर सरलता पूर्वक हो जाता है । अतएव इन्ही सहयोग से यथासम्भव शुद्ध पाठ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।

आधुनिक सम्पादन प्रक्रिया के अनुसार श्लोक संख्या के क्रम को बीच बीच में न तोड़ कर प्रत्येक अध्याय में क्रमानुसार संख्या कर दी गई है इस प्रक्रिया से श्लोकों के अश्वेषण में, उद्धरण देने में अथवा उद्धृत संख्या के आधार पर श्लोक को ढूंढने में अत्यन्त सरलता हो जाती है

ग्रन्थ को सरल बनाने की दृष्टि से स्थान-स्थान पर तालिका एवं उदाहरण दिये गये हैं। गूढ़ ग्रंथियों को सुलझाने के लिए टिप्पणियाँ दी गई है जिनके सहयोग से पाठक गण को कहीं भी अवरोध नहीं प्रतीत होगा ।

इस ग्रन्थ में कुल पाँच अध्याय है। प्रथम अध्याय में ३३६ श्लोक, द्वितीय अध्याय में २७५ इलोक, तृतीय अध्याय में ४६३ श्लोक, चतुर्थ अध्याय में ७२४ श्लोक तथा पञ्चम अध्याय में ४४७ श्लोक हैं समस्त श्लोकों की संख्या २२४५ है ।

ग्रन्थ के अन्त में एक लघु परिशिष्ट है जिसमें जन्मपत्र निर्माण सम्बन्धी प्रारम्भिक एवं आवश्यक विषयों का दिग्दर्शन कराया गया है ।

इन संबर्द्धनी के साथ मानसागरी नये कलेवर एवं नवीन शैली में पाठकों के समक्ष उपस्थित हो रही है आशा है पाठक गण इससे लाभान्वित होगें ।