539 Markandey Puran ( In Brief ) with pictures Bold Type by Gita Press, Gorakhpur
पुराण भारत तथा भारतीय संस्कृति को सर्वोत्कृष्ट निधि हैं । ये अनन्त ज्ञान-राशि के भण्डार है। इनमें इहलौकिक सुख-शान्ति से युक्त सफल जीवन के साथ-साध मानव मात्र के वास्तविक लक्ष्य-परमात्मतत्त्व को प्राप्ति तथा जन्म-मरण से मुक्त होने का उपाय और विविध साधन बड़े ही रोचक, सत्य और शिक्षाप्रद कथाओं के रूप में उपलब्ध हैं । इसी कारण पुराणों को अत्यधिक महत्त्व और लोकप्रियता प्राप्त है; परन्तु आज ये अनेक कारणों से दुर्लभ होते जा रहे हैं ।
‘मार्कण्डेयपुराण’ का अठारह पुराणों की गणना में सातवां स्थान है । इसमें जैमिनि-मार्कण्डेय- संवाद एवं मार्कण्डेय ऋषि का अभूतपूर्व आदर्श जीवन-चरित्र, राजा हरिश्चन्द्रका चरित्र- चित्रण, जीव के जन्म-मृत्यु तथा महारौरव आदि नरकों के वर्णन सहित भिन्न-भिन्न पापों से विभिन्न नरकों की प्राप्ति का दिग्दर्शन है। इसके अतिरिक्त इसमें सती मदालसा का आदर्श चरित्र, गृहस्थों के सदाचार का वर्णन, श्राद्ध-कर्म, योगचर्या तथा प्रणव की महिमा पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला गया है। इसमें देवताओं के अंश से भगवती महादेवी का प्राकट्य और उनके द्वारा सेनापतियों सहित महिषासुर वध का वृत्तान्त भी विशेष उल्लेखनीय है। इसमें श्रीदुर्गासप्तशती सम्पूर्ण-मूल के साथ हिन्दी अनुवाद, माहात्म्य तथा पाठ की विधिहित विस्तार से वर्णित है। इस प्रकार लोक-परलोक- सुधार हेतु इसका अध्ययन अति उपयोगी, महत्त्वपूर्ण और कल्याणकारी है।
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