1183 Narad Puran in Hindi ( Brief) with pictures Bold Type by Gita Press, Gorakhpur
भारतीय संस्कृत साहित्य अनन्त ज्ञान-गरिमा से परिपूर्ण है। उसके असीम ज्ञान-सिन्धु से उपलब्ध हुए पुराणों को अमूल्य रत्न राशि के रूप में अत्यन्त सम्मान और गौरवशाली स्थान प्राप्त है। इसीलिये पुराणों के सेवन ( श्रवण, अनुशीलन) को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है।
‘नारदपुराण’ में कल्याणकारी श्रेष्ठ विषयों का उल्लेख है। इसमें वेदों के छहों अङ्गों-(शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष और छन्द-शास्त्रों )- का विशद वर्णन तथा भगवान्की सकाम उपासना का भी विस्तृत विवेचन है। भगवान्की सकाम आराधना भी उत्तम है सकाम उपासक धीरे-धीरे निष्काम भाव बनने पर भगवद्धक्ति के उत्कर्ष के बाद अन्त में भगवत्प्राप्ति कर लेने में समर्प हो जाता है। आशा है आत्म-कल्याणकामी पाठकों और सभी आद्धाल. जिज्ञासुजनों के लिये प्रस्तुत इस ‘नारदपुराण’ का अध्ययन विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।
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