Skand Mahapuran ( Only Hindi)

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Skand Puran only Hindi published by Gita Press, Gorakhpur was written by Maharishi VedVyas.

This Skand Puran is all about the glory of Lord Shiva this Skand Purand is in Hindi language and easy to understand the commentary. It has also related pictures.

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Description
Skand Puran only Hindi published by Gita Press, Gorakhpur was written by Maharishi VedVyas

Skand Puran in Hindi

स्कन्ददेवता

स्कन्द देव हैं। पण्मतस्थापक आचार्य शङ्कर ने जिन छः मतों को मान्यता दी उनमें से एक के यह आराध्य एवं उपास्य देव हैं। वह शोषक हैं असत् के, असद्वृतियों के एवं असुरों के। स्कन्दयति, शोषयति, अर्थात् जो शोषण करता है, वही देव स्कन्द है। परमतत्व में असद्वृत्तियों को नष्ट करने की सामर्थ्य सदा विद्यमान रहती है। अतः परमतत्त्व स्कन्द है। विष्णु के सहस्त्र नामों में एक ‘स्कन्द’ नाम है। शिव के सहस्त्र नामों में भी स्कन्द नाम है। देववृत्त के अनुसार भूतभावन शङ्कर के आत्मज हैं-घडानन स्कन्द, जो देवों के सेनापति हैं। ‘सेनानीनामहंस्कन्दः’ अर्थात् सेनापतियों में मैं स्कन्द हूँ, के अनुसार भगवान् की विभूति हैं।

स्कन्दपुराण

पुराण वाङ्मय में स्कन्द के नाम से दो ग्रन्थ मिलते हैं। एक खण्डों में विभक्त है, दूसरा संहिताओं में विभक्त हैं। नारदीयपुराण अपनी सूची में खण्डात्मक पुराण का ग्रहण किया है। नारदीयपुराण में स्कन्दपुराण के सात खण्ड गिनाये गये हैं-(१) माहेश्वर, (२) वैष्णव, (३) ब्राह्म, (४) काशी, (५) अवन्ती, (६) नागर, (७) प्रभास। अन्य मतानुसार अवन्ती और नागर के स्थान पर रेवा और तापी खण्ड गिने जाते हैं। यह सप्तखण्डात्मक पुराण महापुराण माना जाता है। छः संहिताओं वाला स्कन्दपुराण पुराण है। दोनों ही पुराण वाङ्मय के जाज्वल्यमान रत्न हैं। दोनों के श्लोकों की संख्या ८१ हजार बतायी जाती है।

 

Additional information
Weight 2252 g
Dimensions 27.5 × 19 × 5.5 cm
Brand

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Geetapress Gorakhpur

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