Ramcharitmanas is an epic poem in the Awadhi language, composed by the 16th-century Indian bhakti poet Goswami Tulsidas (c. 1532–1623). The word Ramcharitmanas literally means “Lake of the deeds of Rama”. It is considered one of the greatest works of Awadhi literature. The work has variously been acclaimed as “the living sum of Indian culture”, “the tallest tree in the magic garden of medieval Indian poetry”, “the greatest book of all devotional literature” and “the best and most trustworthy guide to the popular living faith of the Indian people”.
Ramcharitmanas, made available the story of Rama to the common man to sing, meditate and perform on. The writing of Ramcharitmanas also heralded many a cultural tradition, most significantly that of the tradition of Ramlila, the dramatic enactment of the text.
श्री रामचरितमानस का विधिपूर्वक पाठ करने से पूर्व गोस्वामी तुलसीदास जी, श्री वाल्मीकि जी, श्री महादेव जी तथा श्री हनुमान जी महाराज का आह्वान-पूजन करने के पश्चात् तीनों भाइयों सहित श्रीसीताराम जी का आह्वान, षोडशोपचार पूजन और ध्यान करना चाहिये। इसके बाद पाठ का आरम्भ करना चाहिये।
जिस घर में प्रतिदिन रामायण का पाठ होता है उस घर पर भगवान शिव , श्रीराम, माता सीता, श्री हनुमान , शनिदेव, नव ग्रह, 33 कोटि देवी देवताओं की की सदैव कृपा रहती है। उस घर से दरिद्रता भाग जाती है, उस परिवार का यश बढ़ने लगता है। उस घर पर साक्षात मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। बच्चों को कभी भय नहीं लगता।
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