Sundar Kand (Landscape) in Red Colour

12.00

1583 Sundarkand Mul ( Sri Hanuman Chalisa Sahit) of Sri Ramcharitmanas by Goswami Tulsidas published by Gita Press, Gorakhpur

Sunderkand is the best part of Shri Ramcharitmanas. Stating the reason for its superiority, it is said That is, in the Sunderkand, Shri Ram is beautiful, the story is beautiful, Sita is beautiful. What is not beautiful in the beautiful Apart from this, it has the holy character of Hanumanji, which is the Kalpavriksha for the devotees. One thing is undeniable that Sundara Kandaka devotees perform rituals, which fulfils each of their wishes. Secondly, the story of Sunderkand, the nature and behaviour of the characters is shown to be a combination of spirituality and mysticism.

Description
1583 Sundarkand Mul ( Sri Hanuman Chalisa Sahit) Bedia.

श्रीरामचरितमानस एक प्रासादिक ग्रन्थ है। इस पवित्र ग्रन्थके पठन पाठन और मननसे मनुष्यका सहज ही कल्याण होता है। इसका प्रत्येक दोहा, चौपाई, सोरठा तथा छन्द महामन्त्र है। सुन्दरकाण्डके संदर्भमें तो कहना ही क्या है? यद्यपि सम्पूर्ण श्रीरामचरितमानस ही मनोहर है, किन्तु इसका सुन्दरकाण्ड अत्यन्त ही मनोहर है। जिस प्रकार महाभारतका विराटपर्व सर्वश्रेष्ठ अंश है, उसी प्रकार श्रीरामचरितमानसमें सुन्दरकाण्ड सर्वश्रेष्ठ अंश है। इसकी श्रेष्ठताका कारण बताते हुए कहा गया है-‘सुन्दरे सुन्दरों रामः सुन्दरे सुन्दरी कथा। सुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे किन्न सुन्दरम् ॥ अर्थात् सुन्दरकाण्डमें श्रीराम सुन्दर हैं, कथा सुन्दर है, सीता सुन्दर हैं। सुन्दरमें क्या सुन्दर नहीं है। इसके अतिरिक्त इसमें हनुमान्जीका पावन चरित्र है जो भक्तोंके लिये कल्पवृक्ष है।

एक बात निर्विवाद है कि सुन्दरकाण्डका श्रद्धालुजन अनुष्ठान करते हैं, जिससे उनकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। दूसरी बात सुन्दरकाण्डकी कथा, पात्रोंके स्वभाव और आचरण आदिमें आध्यात्मिकता तथा रहस्यात्मकताका मणिकाञ्चन-संयोग दिखायी पड़ता है।

सुन्दरकाण्डकी अनन्त विशेषताओंसे पाठकोंको परिचित करानेके उद्देश्यसे गीताप्रेससे इसके कई संस्करण प्रकाशित किये गये हैं। इस संस्करणमें पाठकोंको अनुष्ठानके रूपमें शुद्ध पाठ करनेकी सुविधा प्रदान करनेकी दृष्टिसे प्रारम्भमें श्रीजानकीनाथजीकी आरती और पारायण-विधि दी गयी है, जिससे पाठक आवाहन, न्यास तथा ध्यानके साथ शुद्ध पाठ कर सकें।

भक्तोंकी मान्यता है कि सुन्दरकाण्डके पाठका प्रारम्भ किष्किन्धा काण्डके दोहा-संख्या- २९ से करना चाहिये। अतः सुन्दरकाण्डके पूर्व किष्किन्धाकाण्डका दोहा-संख्या-२९ दिया गया है। अर्थसहित पाठ करनेकी विशेष महत्ता बतायी गयी है, इसलिये इसमें मूल पाठके साथ अर्थसहित सुन्दरकाण्ड और अन्तमें हनुमानचालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, रामायणजीकी आरती, हनुमान्जीकी आरती एवं श्रीरामस्तुति दी गयी है। इस संस्करणका टाइप मोटा है, जिससे वयोवृद्ध पाठकोंको भी पाठ करनेमें सुविधा हो।

Additional information
Weight 60 g
Dimensions 20.5 × 13.5 × .5 cm
Brand

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Geetapress Gorakhpur

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