Sri Shiva Mahapuran, [illustrated, with original Sanskrit Verse-Hindi interpretation]
₹370.00 – ₹740.00
2223 Part 1 and 2224 Part 2
Maharishi Veda Vyas Praneet Sri Shiva Mahapuran, Geetapress, Gorakhpur [illustrated, with original Sanskrit Verse-Hindi interpretation]
महर्षि वेदव्यासप्रणीत श्रीशिवमहापुराण [ प्रथम-खण्ड-पूर्वार्ध ]
(विद्येश्वरसंहिता, रुद्रसंहिता-सृष्टिखण्ड, सतीखण्ड, पार्वतीखण्ड, कुमारखण्ड और युद्धखण्ड)
महर्षि वेदव्यासप्रणीत श्रीशिवमहापुराण [ द्वितीय-खण्ड-उत्तरार्ध ]
तरुद्रसंहिता, कोटिरुद्रसंहिता, उमासंहिता, कैलाससंहिता, वायवीयसंहिता) सचित्र, मूल संस्कृत श्लोक- हिन्दी व्याख्यासहित
॥ ॐ श्रीसाम्बशिवाय नमः ॥ ॥ ॐ श्री गणेशाय नमः ॥
महर्षि वेदव्यासप्रणीत श्रीशिवमहापुराण,गीताप्रेस, गोरखपुर [ सचित्र, मूल संस्कृत श्लोक-हिन्दी व्याख्यासहित ]
पुराण वाङ्मय में श्री शिवमहापुराण का अत्यन्त महिमामय स्थान है। पुराणों की परिगणना में वेदतुल्य पवित्र और सभी लक्षणों से युक्त यह पुराण चौथा है। शिव के उपासक इस पुराण को शैव भागवत मानते हैं इस ग्रन्थ के आदि, मध्य तथा अन्त में सर्वत्र भूत भावन भगवान् सदाशिव की महिमा का प्रतिपादन किया गया है। वेद-वेदान्तमें विलसित परमतत्त्व-परमात्मा का इस पुराण में शिव नाम से गान किया गया है
प्रतिपाद्य-विषय की दृष्टि से शिवमहापुराण अत्यन्त उपयोगी महापुराण है इसमें भक्ति, ज्ञान, सदाचार, शौचाचार, उपासना, लोकव्यवहार तथा मानवजीवन के परम कल्याण की अनेक उपयोगी बातें निरूपित हैं। शिवज्ञान, शैवीदीक्षा तथा शैवागम का यह अत्यन्त प्रौढ़ ग्रन्थ है। साधना एवं उपासना -सम्बन्धी अनेकानेक सरल विधियाँ इसमें निरूपित हैं। कथाओं का तो यह आकर ग्रन्थ है। इसकी कथाएँ अत्यन्त मनोरम, रोचक तथा बड़े ही काम की हैं। मुख्य रूप से इस पुराण में देवों के भी देव महादेव भगवान् साम्बसदाशिव के सकल, निष्कल स्वरूप का तात्विक विवेचन, उनके लीलावतारों की कथाएँ, द्वादश ज्योतिर्लिंगों के आख्यान, शिवरात्रि आदि व्रतों की कथाएँ, शिवभक्तों की कथाएँ, लिंगरहस्य, लिंगोपासना, पार्थिवलिंग, प्रणव, बिल्व, रुद्राक्ष और भस्म आदि के विषयमें विस्तारसे वर्णन है। यह पुराण उच्चकोटि के सिद्धों, आत्मकल्याणकामी साधकों तथा साधारण आस्तिकजनों-सभीके लिये परम मंगलमय एवं हितकारी है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्में तो इस पुराण के अध्ययन एवं मनन तथा इसके उपदेशों के अनुसार चलने की विशेष आवश्यकता प्रतीत होती है। शिवपुराण का पठन-पाठन सच्ची सुख-शान्ति के विस्तार में परम सहायक सिद्ध हो सकता है।
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