1953 Srimadvalmikiyramayanasy Sundarkandam (in Sanskrit)
श्रीरामचरितमानस एक प्रासादिक ग्रन्थ है। इस पवित्र ग्रन्थ के पठन पाठन और मनन से मनुष्य का सहज ही कल्याण होता है। इसका प्रत्येक दोहा, चौपाई, सोरठा तथा छन्द महामन्त्र है। सुन्दरकाण्ड के संदर्भ में तो कहना ही क्या है? यद्यपि सम्पूर्ण श्रीरामचरितमानस ही मनोहर है, किन्तु इसका सुन्दरकाण्ड अत्यन्त ही मनोहर है। जिस प्रकार महाभारत का विराट पर्व सर्वश्रेष्ठ अंश है, उसी प्रकार श्रीरामचरितमानस में सुन्दरकाण्ड सर्वश्रेष्ठ अंश है। इसकी श्रेष्ठता का कारण बताते हुए कहा गया है-‘सुन्दरे सुन्दरों रामः सुन्दरे सुन्दरी कथा। सुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे किन्न सुन्दरम् ॥ अर्थात् सुन्दरकाण्डमें श्रीराम सुन्दर हैं, कथा सुन्दर है, सीता सुन्दर हैं। सुन्दर में क्या सुन्दर नहीं है। इसके अतिरिक्त इसमें हनुमान्जी का पावन चरित्र है जो भक्तों के लिये कल्पवृक्ष है।
एक बात निर्विवाद है कि सुन्दरकाण्ड का श्रद्धालुजन अनुष्ठान करते हैं, जिससे उनकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। दूसरी बात सुन्दरकाण्ड की कथा, पात्रों के स्वभाव और आचरण आदि में आध्यात्मिकता तथा रहस्यात्मकता का मणिकाञ्चन-संयोग दिखायी पड़ता है।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण का मूल सुन्दरकाण्ड जो की उन्होंने संस्कृत भाषा में लिखा है |
Sundarkand in Sanskrit from Ramayan by Srimad Valmiki.
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