Valmiki Ramayan Sundarkand in Sanskrit with Hindi Translation

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1549 SrimadValmiki Ramayan Sundarkand in Sanskrit with Hindi Translation by Gita Press, Gorakhpur

This Book has Srimad Valmiki Ramayan’s Sundar Kand original Sanskrit Text with Hindi Translation.

1549 SrimadValmiki Ramayan Sundarkand in Sanskrit with Hindi Translation by Gita Press, Gorakhpur

श्रीमद्वाल्मीकिरामायण संसार का आदिकाव्य होने के कारण आस्तिक जनों में वेदों के समान ही आदरणीय है। भगवन्नाम-यश- लीला-कीर्तन करने में महर्षि वाल्मीकि का नाम अद्वितीय है।

‘सुन्दरकाण्ड’ चाहे वाल्मीकिरामायण का हो या मानस का, उसके अनुष्ठान से भक्तों की अभीष्ट सिद्धि होती है । आध्यात्मिक दृष्टि से भी सुन्दरकाण्ड की कथा, पात्रों के स्वभाव और आचरण आदि में आध्यात्मिकता और रहस्यात्मकता का ऐसा मणिकाञ्चन योग दिखायी देता है कि उसके महत्त्व को प्रत्येक तत्त्वान्वेषक हृदय से स्वीकार करता है । विद्वानों का ऐसा विचार है कि श्रीवाल्मीकिजी ने श्रीरामचरित्र की रचना करने में सबसे विलक्षण काव्य-शैली का प्रयोग सुन्दरकाण्ड में ही किया है। इसीलिये इसे सुन्दरकाण्ड के नाम से अभिहित किया गया है। इसमें वर्णित सब कुछ सुन्दर है; यथा-‘ -‘सुन्दरे सुन्दरी सीता सुन्दरे सुन्दरः कपि: । सुन्दरे सुन्दरी वार्ता अतः सुन्दर उच्यते ॥

सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस काण्ड  में हनुमच्चरित्र का सर्वोत्तम विकास है। इसमें श्रीरामभक्त हनुमान्का ऐसा अनोखा स्वरूप और चरित्र प्रस्तुत किया गया है कि ये जनमानस में आज भी श्रीराम के समान आराध्य और आदर्श रूप में प्रतिष्ठित हैं। आज भी श्रीहनुमान्जी सुन्दरकाण्ड का श्रद्धा-भक्ति से अनुष्ठान करने वाले भक्तों की कामना सहज ही सिद्ध करते हैं।

श्रीमद्वाल्मीकिरामायण सुन्दरकाण्ड का यह सानुवाद संस्करण  है, जिससे पाठक इसका भावसहित पाठ कर सकें।