In this edition of Kalyan Shivopasana ank :- स्मरण- स्तवन , प्रसाद, आशीर्वाद, शिवतत्व – विमर्श, शिवस्वरूप- वर्णन, शिवोपासना और उसके विविध रूप, सत्साहित्य में शिव , भगवान् साम्बसदाशिव के परम उपासक शिवभक्तो की कथाएं -, मध्यप्रदेश के शिव मंदिर, राजस्थान के शिव मंदिर, हरियाणा-हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर के शिव क्षेत्र, बिहार के शिव-मंदिर, उड़ीसा एवं बंगाल के कुछ शिव मंदिर , दक्षिण भारत के कुछ शिव मंदिर एवं अर्चविग्रह तथा चित्रों सहित
भगवान् शिव गुरु हैं, शिव देवता हैं, शिव ही प्राणियोंके बन्धु हैं, शिव ही आत्मा और शिव ही जीव हैं। शिवसे भिन्न दूसरा कुछ नहीं है। भगवान् शिवके उद्देश्यसे जो कुछ भी दान, जप और होम किया जाता है, उसका फल अनन्त बताया गया है। यह समस्त शास्त्रोंका निर्णय है। वही जिह्वा सफल है, जो भगवान् शिवकी स्तुति करती है। वही मन सार्थक है, जो शिवके ध्यानमें संलग्न होता है। वे ही कान सफल हैं, जो उनकी कथा सुननेके लिये उत्सुक रहते हैं और वे ही दोनों हाथ सार्थक हैं, जो शिवजीकी पूजा करते हैं। वे नेत्र धन्य हैं, जो महादेवजीकी पूजाका दर्शन करते हैं। वह मस्तक धन्य है, जो शिवके सामने झुक जाता है । वे पैर धन्य हैं, जो भक्तिपूर्वक शिवके क्षेत्रोंमें सदा भ्रमण करते हैं। जिसकी सम्पूर्ण इन्द्रियाँ भगवान् शिवके कार्यों में लगी रहती हैं, वह संसारसागरसे पार हो जाता है और भोग तथा मोक्ष प्राप्त कर लेता है। जिसके हृदयमें भगवान् शिवकी लेशमात्र भी भक्ति है, वह समस्त देहधारियोंके लिये वन्दनीय है।
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