Bhaktraj Dhruv ( Adarsh Charitmala -5 )

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189 Bhaktraj Dhruv ( Adarsh Charitmala -5 ) by Gita Press, Gorakhpur

भक्तराज ध्रुव के नाम और चरित्र से हम सभी परिचित हैं। एक छोटी-सी घटना से ध्रुव के जीवन में एक महान् क्रान्ति हो गयी और वही उनके भगवत्साक्षात्कार का कारण भी बन गयी। छ: वर्ष का छोटा बालक भगवान्के पथ में किस निष्ठा के साथ जा रहा है, यह हम सभी के लिये सर्वथा अनुकरणीय है। साधनकाल में कैसे-कैसे प्रलोभन उसके सामने आये, पर एक भी उसे डिगा नहीं सका और अन्त में स्वयं भक्तवत्सल भगवान्को उसके सम्मुख प्रकट होना पड़ा। साधना भी उसकी कितनी सरल एवं सरस थी- द्वादशाक्षर-मन्त्र का जप और सब अवस्थाओं में भगवान् नारायण का ध्यान! इसी साधना से ध्रुव के सारे मनोरथ पूर्ण हो गये-केवल छः महीनेके भीतर।

 

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189 Bhaktraj Dhruv ( Adarsh Charitmala -5 ) by Gita Press, Gorakhpur

भक्तराज ध्रुव के नाम और चरित्र से हम सभी परिचित हैं। एक छोटी-सी घटना से ध्रुव के जीवन में एक महान् क्रान्ति हो गयी और वही उनके भगवत्साक्षात्कार का कारण भी बन गयी। छ: वर्ष का छोटा बालक भगवान्के पथ में किस निष्ठा के साथ जा रहा है, यह हम सभी के लिये सर्वथा अनुकरणीय है। साधनकाल में कैसे-कैसे प्रलोभन उसके सामने आये, पर एक भी उसे डिगा नहीं सका और अन्त में स्वयं भक्तवत्सल भगवान्को उसके सम्मुख प्रकट होना पड़ा। साधना भी उसकी कितनी सरल एवं सरस थी- द्वादशाक्षर-मन्त्र का जप और सब अवस्थाओं में भगवान् नारायण का ध्यान! इसी साधना से ध्रुव के सारे मनोरथ पूर्ण हो गये-केवल छः महीनेके भीतर।

इन्हीं भक्तराज ध्रुव का चरित्र इस छोटी-सी पुस्तकमें बहुत ही सीधी-सादी परन्तु प्रभावशाली भाषा में  है । महाभारत, भागवत, विष्णुपुराण तथा अन्य पुराणों का आधार लेकर यह बहुत सुन्दर वस्तु  पाठकों के सम्मुख है। ध्रुव के चरित्र से पाठकों का अन्तःकरण शुद्ध होगा तथा उनके चित्त में साधना की लहरें उठेंगी।