Saral Sanskrit Vyakarn written by Pt. Dwaraka Prashad Mishra Shastri Published by Chowkhamba, Kashi
संस्कृत भाषा का व्याकरण वैज्ञानिक विधि से बनाये गये नियमों पर आधारित है । ये नियम सूत्र शैली द्वारा आठ अध्यायों में महाविद्वान् पाणिनि ने बनाये हैं। इसको अष्टाध्यायी कहते हैं। इसके आधार पर ही भट्टोजि दीक्षित ने वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी की रचना की । इन दोनो ग्रन्यों के द्वारा व्याकरण का ज्ञान होने में बहुत समय लगता है। सामान्य व्यक्ति को संस्कृत भाषा को थोड़े समय में सीखने के लिए एक सरल वैज्ञानिक विधि होनी चाहिये । इसमें संस्कृत के शब्दों की साधना प्रक्रिया को छोड़ देना उचित है क्योंकि इससे घबड़ा कर सीखने वाले व्यक्ति संस्कृत भाषा को कठिन बता कर सीखना छोड़ देते हैं।
संस्कृत भाषा के व्याकरण के नियमों द्वारा शब्दों का श्रेणीकरण किया गया है। इनके परस्पर सम्बन्धों को बताया गया है । व्याकरण उनके भित्र प्रकारों के पहिचानने की रीति बताता है। संस्कृत का व्याकरण बहुत स्पष्ट है। इसको समझने पर संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त करने में सरलता होती है । अत: संस्कृत के शब्दों की श्रेणियों और उनके परस्पर सम्बन्धों को समझना चाहिए । विभिन्न श्रेणियों के शब्दो की साधना प्रक्रिया की झा कर देनी चाहिये ।
ऐसा ज्ञान प्राप्त करके इसका अभ्यास छोटी-छोटी संस्कृत की पाठयपुस्तकों, श्लोको, गीता, मूल रामायण आदि को पढ़ते हुए प्रत्येक शब्द का अर्थ समझते हुए पूरे श्लोक का गद्यांश में अर्थ समझना चाहिये
इस पुस्तक को इसी उद्देश्य से लिखा गया है । यह व्याकरण की अन्य पुस्तकों से सर्वथा भिन्न है। न इसमें सूत्र है न लकार है केवल प्रत्ययों को अपनाया गया है जो शब्दों का वैज्ञानिक विधि से श्रेणीकरण करते हैं ।
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