Sadhan-Sudha-Sindhu

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465 Sadhan Sudha Sindhu by Gita Press, Gorakhpur
एक साधकोपयोगी दुर्लभ ग्रन्थ साधन-सुधा-सिन्धु  श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज के पूर्वप्रकाशित महत्त्वपूर्ण प्रवचनों एवं लेखों का अनूठा संग्रह

प्रस्तुत ग्रन्थ में परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज के उन लेखों एवं प्रवचनों का अनूठा संग्रह है, जो अब तक अनेक पुस्तकों के रूप में अथवा स्वतन्त्र रूप में प्रकाशित होते रहे हैं। भगवत्प्रेमी साधकों के लिये यह संग्रह बहुत उपयोगी है और शीघ्र एवं सुगमतापूर्वक परमात्मत्त्व का अनुभव कराने में बहुत सहायक है।

465 Sadhan Sudha Sindhu by Gita Press, Gorakhpur
एक साधकोपयोगी दुर्लभ ग्रन्थ साधन-सुधा-सिन्धु  श्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज के पूर्वप्रकाशित महत्त्वपूर्ण प्रवचनों एवं लेखों का अनूठा संग्रह
465 Sadhan-Sudha-Sindhu A unique collection of previously published important discourses and articles by revered Swami Shri Ramsukh Das Ji Maharaj.

प्रस्तुत ग्रन्थ में परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराज के उन लेखों एवं प्रवचनों का अनूठा संग्रह है, जो अब तक अनेक पुस्तकों के रूप में अथवा स्वतन्त्र रूप में प्रकाशित होते रहे हैं। भगवत्प्रेमी साधकों के लिये यह संग्रह बहुत उपयोगी है और शीघ्र एवं सुगमतापूर्वक परमात्मत्त्व का अनुभव कराने में बहुत सहायक है।

वर्तमान समय में साधन और साध्य का तत्त्व सरलतापूर्वक बताने वाले ग्रन्थों का अभाव सा दीखता है। इसमें साधकों को सही मार्ग-दर्शन के बिना बहुत कठिनाई होती है। ऐसी स्थिति में परमात्मप्रापि के अनेक सुगम उपायों से युक्त तथा बहुत ही सरल एवं सुबोध भाषा-शैली में लिखित प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रकाशन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक देश, वेश, भाषा, मत, सम्प्रदाय आदि के साधक के लिये यह ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी है प्रत्येक साधक को इस ग्रन्थ में अपने उ्देश्य की सिद्धि के लिये पूरी सामग्री मिलेगी। इस ग्रन्थमें वि. सं. २०१० से लेकर अबतक (वि. सं. २०५३ तक ) अलग-अलग समयपर लिखित एवं प्रकाशित लेखों का संग्रह किया गया है। अतः प्रत्येक शीर्षक के अन्तर्गत दिये गये लेखों काकरम भी समय के अनुसार रखा गया है। पाठकोंसे प्रार्थना है कि यदि उनको कहीं परस्पर विरोध दिखे तो पहले के लेखों की अपेक्षा आगे के लेख को ही महत्त्व दें।

परम श्रेद्य श्री स्वामीजी महाराज ने इस ग्रन्थ में जो बातें लिखी है, वे केवल सिखाने-सिखाने के लिए (बुद्धि का विषय) नहीं है, प्रयुत अनुभव करने के लिए है | परमशांति की प्राप्ति के इच्छुक सभी पाठको से नम्र निवेदन है की वे इस ग्रन्थ को मनोयोग पूर्वक पढ़े, समझें और लाभ उठाये |

 

Weight 1685 g
Dimensions 27.5 × 19 × 4.3 cm

Brand

Geetapress Gorakhpur

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