Bhagwan Naam Mahima aur Prarthana Ank ( 39th Year Kalyan Special Edition) in Hindi by Gita Press Gorakhpur.
कलियुग में भगवन्नाम की विशेष महिमा बतलायी गयी है। ‘कलिजुग केवल नाम अधारा सुमिरि सुमिरि भव उतरेव पारा इस सुप्रसिद्ध प्रचलित उक्ति के अनुसार भगवन्नाम का आश्रय ले लेने पर इस घोर कलिकाल में भी मनुष्य भयावह संसार-सागर को सहज ही पार कर सकता है। वस्तुतः श्रीभगवन्नाम सभी अमङ्गलों का नाश करने वाला, शाश्वत सुख शान्ति को देनेवाला, अन्तःकरण को पवित्र करने वाला और भगवद्भक्ति को बढ़ाने वाला है। इसी प्रकार ईश्वर प्रार्थना हमारे मृतप्राय विश्वास को पुनर्जीवित करने वाली संजीवनी बूटी है। प्रार्थना जितनी ही तन्मयता से की जाती है, उसका प्रभाव उतना ही अधिक होता है।
भगवन्नाम जप, संकीर्तन और प्रार्थना के ऐसे विलक्षण प्रभाव, महत्त्व और सार्वदेशिक सर्वमान्यता का समादर करते हुए वर्षों पूर्व–’कल्याण’ के ३९ वें वर्ष (सन् १९६५ ई० ) के विशेषाङ्क ‘भगवन्नाम-महिमा और प्रार्थना अङ्क‘ के रूप में प्रकाशित किया गया था, जो अत्यधिक लोकप्रिय सिद्ध हुआ। जनकल्याणार्थ प्रकाशित इस विशेषाङ्क को ‘कल्याण’ के सभी श्रद्धालु पाठकों, अनेक भगवत्प्रेमी सज्जनों और साधकों द्वारा अत्यधिक समादर और सम्मान मिला।
इस विशेषाङ्क में अनेक संत-महात्माओं, महापुरुषों, मनीषी विद्वानों, विचार कों और अनेक अनुभव-सिद्ध महानुभावों द्वारा भगवन्नाम-जप की महिमा तथा प्रार्थना के महत्त्व एवं प्रभाव पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। इसी तरह प्रार्थना के महत्त्व एवं प्रार्थना के प्रकार तथा स्वरूप पर भी इसमें गम्भीर विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया गया है।
इसके अतिरिक्त इसमें भगवन्नाम जप और प्रार्थना के चमत्कारिक प्रभाव विषयक अनेक अनुभवी विद्वानों तथा मनीषियों द्वारा अनुभूत सत्य घटनाओं के उल्लेख एवं तद्विषयक सत्य कथा-कहानियों के रूप में प्रस्तुत मार्मिक सामग्री ने इसकी रोचकता, प्रभाव तथा प्रामाणिकता को और भी अधिक बढ़ा दिया है।
इस प्रकार इसमें अपने विषय के शास्त्रीय विवेचन सहित स्वानुभूत अनुभवों का भी अपूर्व मिश्रण है। इसमें अनेक उपयोगी स्तोत्रों, कल्याणकारी सिद्ध मन्त्रों, कवचों और आत्मकल्याणकारी अनुष्ठानों की अति उपयोगी विधियाँ भी वर्णित हैं। संक्षेप में इसकी समस्त विषय वस्तु अत्यन्त ज्ञानवर्धक, रोचक और प्रेरणाप्रद होनेके साथ निश्चित रूप से कल्याणकारी है। अतएव कल्याणकामी सभी महानुभावों और भगवत्प्रेमी समस्त आस्तिक (ईश्वरविश्वासी) जनों तथा भगवन्नामप्रेमी साधकों को इस विशेषाङ्क की दुर्लभ सामग्री से अधिकाधिक लाभ उठाना चाहिये।
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