ध्यान – नियम,संयम और एकाग्रता

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ध्यान – नियम,संयम और एकाग्रता

ध्यान पर बैठना मेडिटेशन एक कठिन साधना है । सच्चा साधक ही सही साधना कर सकता है। सच्चा साधक बनाना आसान भी नही है।

नित्य ध्यान पर बैठना ,सही समय पर बैठना ही आपका आध्यात्मिक (मानसिक) विकास करता है । अब यहाँ पर गौर करने वाली बात यह है कि यदि उस परम मानसिक अनुभूति का एहसास यदि आप करना चाहते है तो नियम संयम और एकग्रता की अत्यंत आवश्यकता है ।

यदि आप इन तीनो को साधने में सफल हो पाए तभी आप ध्यान की परम मानसिक अनुभूति का आनंद ले पाएंगे ।

ध्यान ही वास्तविक ज्ञान है । ध्यान (Meditation) ही आपकी सम्पूर्ण क्षमता का एहसास करा सकता है अन्यथा केवल इस भौतिक संसार और नश्वर शरीर को ही आप सब कुछ समझते रहते है | ध्यान पर बैठेने पर जो दिव्य एहसास होगा वो अभूतपूर्व है अलौकिक है |

नियम- आपकी दिनचर्या नियमित हो , ब्रह्ममुहर्त में उठना और प्रतिदिन ध्यान लगाने का नियम ही आपके आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा। स्नान, भोजन, आराधना, पढना,लिखना इत्यादि भी नियमित रूप से करना इसमें शामिल है |
संयम – अपनी इंद्रियों को संयमित करना होगा , चाहे वह यौन इच्छा हो या कोई नशा या कोई ऐसा काम जिसे आप लत लगने के कारण कर रहे हैं। यह अत्यंत कठिन है क्योकि यह इन्द्रियां आपके पुरे मन को अपने वश में कर के लेती है और आप कुछ समय के लिए तो इनको संयमित कर लेते है लेकिन ये फिर और अधिक प्रभावी रूप से आपके मन को जकड़ लेती है | इन्द्रियों को वश में करने के लिए इच्छा शक्ति का प्रबल होना अत्यंत आवश्यक है |आप धीरे – धीरे इनपर नियंत्रण करे एकसाथ नियंत्रण करना उचित नहीं है |
एकाग्रता – ध्यान पर बैठ कर दुनिया भर की व्यर्थ की बातों के विचार में घूमते रखना शुरू शुरू में स्वाभाविक है लेकिन यदि आप नियम और संयम का पालन कर रहे है तो आपके ध्यान में बैठने पर एकाग्रता आने लगेगी जो कि ध्यान पर बैठने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
एक बार एकाग्रचित हो कर सफलता पूर्वक कुछ क्षणों के ध्यान लगाने से आप स्वयं वह अनुभूत करेंगे जिसका वर्णन करना असंभव है। वह एहसास आपके लिए अमूल्य होगा अप्रितम होगा और इतना ऊर्जावान होगा कि उसके आगे सारा संसार बौना लगने लगेगा।

Mahesh Mundra

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