MANUSMRTI with Maniprabha Hindi Commentary by Pt. Haragovinda Shastri Published by : Chowkhamba, Kashi
मनुस्मृतिके बारह अध्याय है । इनमें से प्रथम अध्याय मे पंसारीत्पाहिण द्वितीय अध्यायमें – जातकर्मादि संस्कार विधि, ब्रह्मचर्य व्रत विधि और गुरुलेअधिवादनविधिका; तृतीय अध्याय में ब्रह्मचर्य व्रत की समाप्ति के बाद समादर, पञ्चमहायज्ञ और नित्य श्राद्ध विधि का, चतुर्थ अध्याय में ऋत-प्रमृत आदि जीडीकाओं के लक्षण तथा स्नातक (गृहस्थ) के नियम का, पञ्चम अध्याय दही आदि भक्ष्य तथा त्याज लहसुन आदि अभक्ष्य पदार्या और दशाहादि के द्वारा जनन-मरणा शोच में ब्राह्मणादि द्विजातियों की तथा मिट्टी, पानी आदि के द्वारा द्रव्य एवं बर्तनों की शुद्धि का ओर स्त्रीघरमंका, पष्ठ अध्याय में- वानप्रस्थ तथा संन्यास आश्रम का, सप्तम अध्याय में- व्यवहार (मुकदमों) के निर्णय तया कर- ग्रहण आणि राजघर्म का, अष्टम अध्याय में- साथियों सि प्रश्नविधिका, नदम अध्याय में-साथ तथा पृथक् रहने पर स्त्री तथा पुरुष के धर्म, धन आदि सम्पत्ति का विभाजन, द्यूत-विधि, चौरादि निवारण तथा वैश्य एवं शूद्र के अपने-अपने धर्म के अनुष्ठान का, दशम अध्याय में-अम्बष्ठ आदि अनुलोमज तथा मृत-मागधा चंदेह आदि प्रतिलोमज जातियों की उत्पत्ति और आपत्ति काल में कर्तव्य धर्म का, एकादश-अध्याय में पाप की निवृत्ति के लिए कृच्छ -सान्तपन-चान्द्रायण दि प्राय- श्चित विधि का और अन्तिम द्वादश अध्याय में-कर्मानुसार तीन प्रकार की ( उत्तम, मध्यम तथा अधम) सांसारिक गतियों, मोक्ष प्रद, आत्मज्ञान, विहित एवं निषिद्ध गुण-दोषों की परीक्षा, देश धर्म, जाति धर्म तथा पाखण्डि- धर्मका, वर्णन किया गया है
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